गुज़रते वक़्त के साथ भले ही कंपनियों के भीतर ‘स्त्रीवाद’ के प्रति जागरूकता बढ़ती नज़र आ रही है, लेकिन कुल मिलाकर कॉरपोरेट सेक्टर जाति की हक़ीक़त और कार्यस्थल पर पड़ने वाले इसके प्रभावों से मुंह चुराता दिखता है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी फरमान के अनुसार, स्कूली बच्चों के अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों और सहायकों के पास भी आधार कार्ड होना ज़रूरी है.
बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.
बीते साल मथुरा के जवाहर बाग पार्क में अवैध रूप से डेरा डाले लोगों से पार्क की ज़मीन खाली कराने के दौरान हुई झड़प में दो पुलिस अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोग मारे गए थे. ये अतिक्रमणकारी यहां रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में डेरा जमाए हुए थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़ितों को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैये को ‘निष्ठुर’ करार देते हुए कहा कि ऐसे लोग याचक नहीं हैं और महिला पीड़ितों को मुआवजा देना सरकार का दायित्व है, परोपकार नहीं.
गुजराती भाषा के लोकप्रिय नाटककार तारक मेहता का लंबी बीमारी के बाद एक मार्च को अहमदाबाद में निधन हो गया. वह 88 वर्ष के थे.
‘जन की बात’ की 10वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ अमेरिका के कंसास में हुए नस्लीय हमले के दौरान एक भारतीय की मौत और एक पुलिस वाले पर शोभा डे के ट्वीट की चर्चा कर रहे हैं.
‘आवारा’ भीड़ अब दिल्ली विश्वविद्यालय के सम्मानित प्रोफेसरों को अपना निशाना बना रही है.
कश्मीर में लोकतंत्र कमज़ोर है इसलिए अफ़ज़ल गुरु को शहीद बताने वालों के साथ सरकार चला कर उसे मजबूत करना है और दिल्ली में लोकतंत्र बहुत मजबूत है इसलिए सेमिनार में गुंडागर्दी कर के इसे कमज़ोर करना है.
बढ़ती धार्मिक कुरीति और कट्टरता के दौर में भी कबीर होते तो यही कहते कि ‘मोको कहां ढूढ़ें बंदे, मैं तो तेरे पास में. न मैं देवल, न मैं मस्जिद, न काबे कैलास में...'
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता ने कहा, मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.
अब अकुशल कर्मियों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपये से बढ़कर 13,350 रुपये, अर्ध-कुशल कर्मियों का 10,764 रुपये से बढ़कर 14,698 रुपये मासिक हो जाएगा.
पाकिस्तान में सहवान शरीफ़ और अलग-अलग सूफ़ी दरगाहों पर हाल ही के सालों में हुए आतंकी हमले दिखाते हैं कि इस्लामी आतंकी लोगों में सूफ़ी इस्लाम की बढ़ती लोकप्रियता से डरा हुआ महसूस कर रहे हैं.
बीते दिनों रामजस कॉलेज में हुई हिंसा यह साफ़ दिखाती है कि अगर इस तरह की राजनीति से प्रेरित ग़ुंडागर्दी को नहीं रोका गया तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं.
रामजस कॉलेज में एक सेमिनार को लेकर हुए विवाद के बाद से सोशल मीडिया पर एक कैंपेन शुरू हुआ है. इस कैंपेन को नाम दिया गया है, ‘आई ऐम नॉट अफरेड आॅफ एबीवीपी.’