मणिपुर में हिंसा जारी: बिहार के दो मजदूरों की गोली मारकर हत्या, पुलिस मुठभेड़ में एक उग्रवादी की मौत
पिछले साल 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से प्रवासी श्रमिकों पर यह दूसरा जानलेवा हमला है. इससे पहले अज्ञात
पिछले साल 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से प्रवासी श्रमिकों पर यह दूसरा जानलेवा हमला है. इससे पहले अज्ञात
गोकुल भारतीय चिंतन परंपरा की प्रतिगामी धारा को पूरी तरह खारिज करते हुए भी उसकी प्रगतिशील धारा की विरासत को आत्मसात करने में हिचकिचाते
पुस्तक अंश: मुझे राव के साथ काफ़ी क़रीब से काम करने का मौक़ा मिला. मैंने उनसे सीखा कि एक अनुभवी नेता कठिन परिस्थितियों का
फ़िलिस्तीनी चिकित्सकों का कहना है कि सेंट्रल गाजा पट्टी में 10 लोग दीर अल-बलाह के निकाय भवन के पास हवाई हमले में मारे गए,
पीड़ित छात्रा आरोपियों को जमानत मिलने के बाद कैंपस छोड़कर अपने घर चली गई हैं. उनके करीबियों का कहना है कि उन्हें कैंपस में
पिछले साल 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से प्रवासी श्रमिकों पर यह दूसरा जानलेवा हमला है. इससे पहले अज्ञात हमलावरों ने इंफाल में एक 41 वर्षीय प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी थी और दो साथी श्रमिकों को घायल कर दिया था.
→गोकुल भारतीय चिंतन परंपरा की प्रतिगामी धारा को पूरी तरह खारिज करते हुए भी उसकी प्रगतिशील धारा की विरासत को आत्मसात करने में हिचकिचाते नहीं थे. उनका कहना था कि इस विरासत को पाश्चात्य चिंतन के क्रांतिकारी, जनवादी, वैज्ञानिक और प्रगतिशील मूल्यों से जोड़कर भारतवासी अपने भविष्य का रास्ता हमवार कर सकते हैं.
पुस्तक अंश: मुझे राव के साथ काफ़ी क़रीब से काम करने का मौक़ा मिला. मैंने उनसे सीखा कि एक अनुभवी नेता कठिन परिस्थितियों का सामना भी किस तरह करता है. राव एक विद्वान् और कुशल लेखक थे.
फ़िलिस्तीनी चिकित्सकों का कहना है कि सेंट्रल गाजा पट्टी में 10 लोग दीर अल-बलाह के निकाय भवन के पास हवाई हमले में मारे गए, जहां वे राहत सामग्री लेने के लिए पहुंचे थे. वहीं, इज़रायली सेना ने दावा किया है कि हमले में मारे गए लोग शरणार्थियों की आड़ में छिपे हुए हथियारबंद लड़ाके थे.
पीड़ित छात्रा आरोपियों को जमानत मिलने के बाद कैंपस छोड़कर अपने घर चली गई हैं. उनके करीबियों का कहना है कि उन्हें कैंपस में डर और तनाव का सामना करना पड़ रहा था. उन्हें सुनवाई के लिए अदालत जाने में भी काफी दिक्कतें आ रही थीं. इस दौरान उन्होंने अपनी परीक्षाओं को लेकर भी बहुत संघर्ष किया है. उनके वकील ने अदालत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी कराने का अनुरोध भी किया है.
पिछले साल 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से प्रवासी श्रमिकों पर
गोकुल भारतीय चिंतन परंपरा की प्रतिगामी धारा को पूरी तरह खारिज करते हुए भी उसकी प्रगतिशील
पुस्तक अंश: मुझे राव के साथ काफ़ी क़रीब से काम करने का मौक़ा मिला. मैंने उनसे
फ़िलिस्तीनी चिकित्सकों का कहना है कि सेंट्रल गाजा पट्टी में 10 लोग दीर अल-बलाह के निकाय
पीड़ित छात्रा आरोपियों को जमानत मिलने के बाद कैंपस छोड़कर अपने घर चली गई हैं. उनके