उच्चतम न्यायालय 20 मार्च को मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. बीते 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई थी.
राज्यपाल ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे गए पत्र में कहा है कि अगर आप 17 मार्च को शक्ति परीक्षण नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है. मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्यपाल दबाव में हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की भाजपा की मांग और प्रदेश सरकार द्वारा स्पीकर का ध्यान कोरोना वायरस के खतरे की ओर आकर्षित किए जाने के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 12 घंटों के भीतर विश्वास मत कराने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है.
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने निर्देश दिए हैं कि विश्वासमत की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी विधानसभा स्वतंत्र व्यक्तियों से कराएगी. संपूर्ण कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च 2020 को प्रारम्भ होगी और यह स्थगित, विलंबित या निलंबित नहीं की जाएगी.
मध्य प्रदेश की सरकार ने विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के प्रस्ताव पारित करते हुए इसे भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन बताया. इससे पहले केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.
पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून मुस्लिमों को ‘नजरअंदाज’ करता है और वह इस नए कानून और साथ ही एनआरसी को इस केंद्र शासित प्रदेश में ‘किसी भी हाल’ में लागू नहीं करेंगे.
संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार को कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की संविधान बचाओ यात्रा निकाली. कमलनाथ ने कहा कि एनपीआर को हम लाना चाहते हैं, लेकिन इसके साथ एनआरसी को जोड़कर नहीं.
झारखंड हारने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा का शासन देश के मात्र 35 प्रतिशत हिस्से तक सिमट गया है, जबकि 2017 में देश के 71 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण था. लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत झारखंड में 55 प्रतिशत से अधिक था तो हरियाणा में 58 प्रतिशत था. इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों में उसका वोट प्रतिशत गिरकर क्रमश: 33 एवं 36 प्रतिशत पर आ गया.
मध्य प्रदेश सरकार राज्य में विधान परिषद बनाना चाहती है, जिसके लिए उसका तर्क है कि इससे चुनावी राजनीति से दूर रहने वाले विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. वहीं विपक्षी भाजपा सहित एक तबका इसे जनता के पैसे की फ़िज़ूलख़र्ची और पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को स्थापित करने का हथकंडा बता रहा है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ कई बार प्रदेशाध्यक्ष का पद छोड़ने की बात कह चुके हैं. लेकिन सरकार बनने के लगभग साल भर बाद भी पार्टी को नया प्रदेशाध्यक्ष नहीं मिला है.
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने ‘मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश, 2019’ को मंज़ूरी दी, जिसके तहत अब नगरीय निकायों के महापौर व अध्यक्षों का चुनाव जनता नहीं करेगी. इसी कदम का अनुसरण राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने भी किया है.
गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल के 1984 दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने के निर्णय के बाद दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कमलनाथ ने इन सात मामलों में से एक के पांच आरोपियों को कथित तौर पर शरण दी थी.
राज्य की कमलनाथ सरकार के मंत्री-विधायक एक-दूसरे पर अवैध खनन, अवैध शराब और रिश्वत लेने जैसे संगीन आरोप लगा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर आरोप है कि वे सरकार को पर्दे के पीछे से चला रहे हैं, वहीं नये प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी खींचतान की स्थिति बनी हुई है.
बीते 10 दिनों में यह सोनिया गांधी की कमलनाथ से दूसरी मुलाकात थी. 30 अगस्त को मुलाकात के दौरान कमलनाथ ने कहा था कि पार्टी को लोकसभा चुनाव के बाद राज्य इकाई के एक नए अध्यक्ष की जरूरत है.
मध्य प्रदेश में जिस दिन से कांग्रेस की सरकार बनी, उस दिन से भाजपा इसे अल्पमत में बता रही है. कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने फिर कहा कि पार्टी हाईकमान का आदेश हो तो एक दिन में सरकार गिर जाएगी, लेकिन इसके बाद एक विधेयक को लेकर भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के खेमे में खड़े नज़र आने से स्थितियां बदलती दिख रही हैं.