अहमदाबाद में नवरंगपुर इलाके के श्रेय अस्पताल के आईसीयू वार्ड में गुरुवार तड़के आग लग गई. हादसे के वक़्त 40-45 मरीज़ यहां भर्ती थे. मृतकों में पांच पुरुष और तीन महिलाएं शामिल हैं.
अहमदाबाद में सीएए के ख़िलाफ़ धरना-प्रदर्शन आयोजित करने वाले कलीम सिद्दीक़ी को पुलिस ने नोटिस भेजकर पूछा है कि आपराधिक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के कारण उन्हें दो साल के लिए अहमदाबाद सिटी सहित चार नज़दीकी ज़िलों से निर्वासित क्यों नहीं किया जाना चाहिए.
बीते दो दिनों में अहमदाबाद के विशाल फैब्रिक्स में चार और श्री शक्ति केमिकल फैक्ट्री में दो मज़दूरों की ज़हरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई थी, जिसके बाद श्रम एवं रोजगार विभाग ने इन दोनों को बंद करने के आदेश दिए हैं.
मामला अहमदाबाद का है, जहां एक फैब्रिक यूनिट में रासायनिक कचरे के टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आने से मज़दूरों की मौत हो गई. बताया गया है कि उन्हें बिना सुरक्षा उपकरणों के टैंक में भेजा गया था.
लॉकडाउन के दौरान बीते 17 मई को गुजरात के राजकोट में प्रवासी मज़दूरों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया था. ये समूह अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेनों में जगह देने की मांग कर रहा था. पुलिस ने मज़दूरों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास, डकैती समेत अन्य आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की थी.
यह घटना पिछले साल दिसंबर में गुजरात के वडोदरा के फतेहगंज थाने में हुई थी. मृतक 62 वर्षीय बाबू शेख़ तेलंगाना के मूल निवासी थे. आरोपियों के ख़िलाफ़ मृतक को यातना देने, उसकी हत्या करने और सबूत मिटाने का केस दर्ज किया गया है.
अहमदाबाद नगर निगम संचालित एसवीपी अस्पताल द्वारा अनुबंध पर रखी गईं नर्सों और अन्य कर्मचारियों के वेतन में 10 से 20 प्रतिशत की कटौती की सूचना उनकी ठेकेदार कंपनी द्वारा दी गई थी.
यह अहमदाबाद सिविल अस्पताल के गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट का मामला है. अस्पताल की ओर से बाद में कहा गया कि कहा गया है कि मरीज़ जीवित नहीं है. जिस कर्मचारी ने परिजनों से संपर्क किया था वह मरीज़ की अपडेटेड स्थिति से वाक़िफ़ नहीं था.
इससे पहले कोरोना वायरस को लेकर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार द्वारा संचालित अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और कालकोठरी से भी बदतर है. बदलाव के बाद पीठ ने नाराज़गी ज़ाहिर की कि महामारी से निपटने को लेकर सरकार के बारे में की गईं अदालत की हालिया टिप्पणियों का ग़लत मंशा से दुरुपयोग किया गया.
ऐसी ख़बरें थीं कि बेजान दारूवाला की मौत कोरोना वायरस से हुई, लेकिन उनके बेटे नस्तूर दारूवाला ने बताया कि उनकी मौत कोरोना वायरस से नहीं हुई, बल्कि निमोनिया से हुई.
कोरोना महामारी को लेकर अस्पतालों की दयनीय हालत और राज्य की स्वास्थ्य अव्यस्थताओं पर गुजरात सरकार को फटकार लगाने वाली हाईकोर्ट की पीठ में अचानक बदलाव किए जाने से एक बार फिर 'मास्टर ऑफ रोस्टर' की भूमिका सवालों के घेरे में है.
गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस जेबी पर्दीवाला और इलेश जे. वोरा की पीठ ने बीते दिनों कोरोना महामारी को लेकर राज्य सरकार को सही ढंग और जिम्मेदार होकर कार्य करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे.
राज्य सरकार द्वारा प्राइवेट लैब में कोविड टेस्ट करवाने के लिए उसकी अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसे में अहमदाबाद में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में ढेरों कोविड संभावित मरीज़ भर्ती होने के कई दिन बाद भी टेस्ट के लिए इंतज़ार करने को मजबूर हैं.
पिछले दो सप्ताह से सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही एक विस्तृत 22 सूत्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि अहमदाबाद के अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की भारी कमी है.
गुजरात देश में सबसे ज्यादा कोरोना मौतों वाले राज्यों में से एक है, जिसमें से सिविल अस्पताल में 377 मौतें हुई हैं जो कि राज्य की कुल मौतों का लगभग 45 फीसदी है.