आदिवासियों के लिए इस आज़ादी का क्या मतलब है?

आदिवासी तो दुनिया बनने से लेकर आज़ाद ही हैं. बस्तर के इन जंगलों में तो अंग्रेेज़ भी नहीं आए. इसलिए इन आदिवासियों ने अपनी ज़िंदगी में न ग़ुलामी देखी है, न ग़ुलामी के बारे में सुना है.

आज़ादी अगस्त में पैदा हुई थी इसलिए मर गई

लगता है वह एक ही प्रधानमंत्री है जो अपने चोले और शक्ल बदल कर हर बरस घंटे भर कुछ बोलता है. उसे इस बार भी बोलना है. जब मैं यह लिख रहा हूं उसके बोले जाने वाले शब्द लिखे जा चुके होंगे. उनके बोलने में लोकतंत्र हर बार मजबूत होता है. उन्हें सुनकर इंसान हर बार मजबूर होता है.

लिपस्टिक अंडर माय बुरक़ा बोल्ड है, मगर स्त्रीवादी नहीं

सिगरेट-शराब पीने और सेक्स को आज़ादी का प्रतीक मानने के पुराने, बार-बार आजमाए जा चुके नुस्खे के साथ यह फिल्म इस पितृसत्तात्मक समझ का ही प्रसार करती हैं कि औरतें झूठी और बेवफा होती हैं.

गुरमेहर! गांधीजी ने कहा था, ‘डरो मत’

शहीद की बेटी के नाम एक ख़त: ‘अभय व्यक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी निधि है और उसका अभिप्राय केवल शारीरिक साहस से ही नहीं, बल्कि मानसिक निर्भयता से भी है.’