लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.
वित्त विधेयक को पारित किए जाने के बाद लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. बजट सत्र 3 अप्रैल को समाप्त होने वाला था.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की अंशकालिक सदस्य आशिमा गोयल ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट रिसर्च में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है.
पिछले साल सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक से 1.76 लाख करोड़ रुपये लेने का फ़ैसला किया. इस साल यह एलआईसी से 50,000 करोड़ से ज्यादा ले सकती है. बीपीसीएल, कॉन्कोर जैसे कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को पूरी तरह से बेचा जा सकता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को करदाताओं को राहत देते हुए कर कानूनों को सरल बनाने के लिए नयी वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था पेश की. करदाताओं को विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में रहें या फिर बिना छूट वाले नए कर ढांचे को अपनाएं.
कर्मचारी संघों का कहना है कि अगर सरकार अपने इस फैसले पर आगे बढ़ती है तो एलआईसी के विभिन्न कर्मचारी संगठन देशभर में प्रदर्शन करेंगे. इनका आरोप है कि इस क़दम से करोड़ों बीमाधारक प्रभावित होंगे.
लोकपाल को वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 101.29 करोड़ रुपये दिए गए थे, जिसे कम करके 18.01 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2019-2020 में सीबीआई को 781.01 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. यह राशि बाद में घटाकर 798 करोड़ रुपये कर दी गई थी.
वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा कि नई कर व्यवस्था वैकल्पिक होगी. करदाताओं को विकल्प दिया जाएगा कि वह चाहे तो छूट और कटौती के साथ पुरानी कर व्यवस्था में रहें या फिर बिना छूट वाले नए कर ढांचे को अपनाएं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश हुए आम बजट को खोखला करार देते हुए शनिवार को कहा कि इसमें कुछ ठोस नहीं था और बेरोज़गारी से निपटने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बजट को मौजूदा दौर में अर्थव्यवस्था की सभी चुनौतियों का समाधान देने वाला बताया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश किया. सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि 2020-21 के दौरान 10 फीसदी की दर से जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों की तुलना में केंद्र का बजट ज़्यादा पारदर्शी होता है. हालांकि केंद्र स्तर पर भी अभी भी कई ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है.
जो लोग इस बजट से भाजपा के चुनावी वादों को पूरा करने के किसी रोडमैप की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें इस बजट में एक भी बड़ा विचार या कोई बड़ी पहल दिखाई नहीं दी. रोजगार सृजन और कृषि को फायदेमंद बनाने जैसे मसले पर चुप्पी हैरत में डालने वाली है.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट काफी अच्छी-अच्छी बातें करता है, लेकिन जब एक बड़ी तस्वीर बनाने की कोशिश करते हैं, तो इसमें काफी दरारें दिखाई देती हैं.
नई योजना के तहत ऐसे स्थानों पर उर्दू शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाएगी, जहां की 25 फीसदी से अधिक आबादी उर्दू बोलती है. हालांकि, देश में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई योजना के लिए इस साल बजट आवंटित नहीं किया गया.
जब तक भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों में कोई निर्णायक परिवर्तन नहीं होता, भारत विश्वशक्ति बन जाए तो भी, सरकार का सारा बोझ ढोने वाले निचले तबके की यह नियति बनी ही रहने वाली है कि वह तलछट में रहकर विश्वपूंजीवाद के रिसाव से जीवनयापन करे.