दो साल में राजद्रोह के मामलों में हुई दोगुना वृद्धि, झारखंड में सर्वाधिक

एनसीआरबी द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार 2016 की तुलना में 2018 में राजद्रोह के दोगुने मामले दर्ज हुए हैं. जिन राज्यों में ये मामले दर्ज हुए उनमें झारखंड पहले स्थान पर है, इसके बाद असम, जम्मू कश्मीर, केरल और मणिपुर हैं.

बलात्कार के मामलों में सजा की दर मात्र 27.2 प्रतिशत: एनसीआरबी रिपोर्ट

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के मामलों में सजा की दर 2018 में पिछले साल के मुकाबले घटी है. 2017 में सजा की दर 32.2 प्रतिशत थी.

2018 में हर दिन औसतन 80 हत्याएं, 91 बलात्कार की घटनाएं हुईं: एनसीआरबी आंकड़ा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनसीआरबी भारतीय दंड संहिता और विशेष एवं स्थानीय कानून के तहत देश में अपराध के आंकड़ों को एकत्रित करने तथा विश्लेषण के लिए जिम्मेदार होता है.

बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि दर 32 प्रतिशत है: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2017 के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में बलात्कार के मामलों की कुल संख्या 1,46,201 थी, लेकिन उनमें से केवल 5,822 लोगों को ही दोषी ठहराया जा सका.

बाल तस्करी के मामले में राजस्थान शीर्ष पर, बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है, जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. बाल तस्करी के 121 दर्ज मामले में बिहार पुलिस ने आरोप पत्र ही दायर नहीं किए.

देश में महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोलते एनसीआरबी के आंकड़े

वीडियोः देश में लगातार सामने आ रहे बलात्कार और यौन हिंसा के मामले महिला सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले दावों के उलट हैं. एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट बताती है कि बीते तीन सालों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कोई कमी नहीं आई है.बता रही हैं रीतू तोमर.

मणिपुर और जम्मू कश्मीर में दर्ज हुए यूएपीए के सबसे ज़्यादा मामले

राज्यसभा में गृह मंत्रालय द्वारा बताया गया कि साल 2017 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत सर्वाधिक गिरफ्तारियां उत्तर प्रदेश में हुईं.

जेल में क्षमता से अधिक क़ैदी, यूपी में स्थिति सबसे ख़राब: एनसीआरबी

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-2017 के दौरान भी जेल में क्षमता से अधिक क़ैदी थे. इस अवधि में क़ैदियों की संख्या में 7.4 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ, जबकि समान अवधि में जेल की क्षमता में 6.8 प्रतिशत वृद्धि हुई.

सांप्रदायिक दंगों में बिहार अव्वल क्यों है?

एक साल की देरी से जारी किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में देश में दंगों की कुल 58,729 वारदातें दर्ज की गईं. इनमें से 11,698 दंगे बिहार में हुए. वर्ष 2017 में ही देश में कुल 723 सांप्रदायिक/धार्मिक दंगे हुए. इनमें से अकेले बिहार में 163 वारदातें हुईं, जो किसी भी सूबे से ज़्यादा है.

झारखंड: अफ़वाहों के चलते सात लोगों की लिंचिंग हुई, एनसीआरबी रिपोर्ट में कहा- कोई मामला नहीं

राज्य में बीते तीन साल में गोकशी, चोरी, बच्चा चोरी और अफ़वाहों के चलते 21 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2017 से लेकर अब तक राज्य में जादू-टोना करने के शक के आधार पर हुई भीड़ की हिंसा में 90 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

एनसीआरबी रिपोर्ट: गृह मंत्रालय ने कहा, अविश्वसनीय होने से 25 श्रेणियों में आंकड़े जारी नहीं किए

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में मॉब लिंचिंग के आंकड़ों को शामिल नहीं किए जाने पर सफाई देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि उन आंकड़ों को इसलिए नहीं शामिल किया गया, क्योंकि वे अविश्वसनीय थे और उनमें ग़लत सूचनाओं के शामिल होने का ख़तरा था.

लिंचिंग के आंकड़े जुटाने के बावजूद एनसीआरबी ने इसे जारी नहीं किया

साल 2017 की एनसीआरबी रिपोर्ट पूरे एक साल की देरी से जारी की गई है. इस रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं.

पुलिस हिरासत में पिछले दो साल में 133 लोगों की मौत हुई: गुजरात सरकार

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सदन में एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बीते दो साल में पुलिस हिरासत में जिन लोगों की मौत हुई उनके परिजनों को 23.50 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया है.

क्यों निर्दोष नागरिकों को सालों-साल क़ैद में रखना चुनावी मुद्दा बनना चाहिए

बड़ी संख्या में नागरिकों, विशेष रूप से हाशिये के समुदायों से आने वालों को बेक़सूर होने के बावजूद एक लंबा समय जेल में बिताना पड़ा है. फिर भी कोई प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहता.

जेलों में बंद तीन में से एक विचाराधीन कैदी या तो एससी हैं या एसटी: रिपोर्ट

'क्रिमिनल जस्टिस इन द शैडो ऑफ कास्ट' नाम से प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये तथ्य बताते हैं कि पुलिस द्वारा दलित और आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है.