आईसीएमआर द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार कोविड महामारी के नवंबर के पहले सप्ताह तक अपने चरम पर पहुंचने के बाद 5.4 महीनों के लिए आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों के लिए आईसीयू बेड और 3.9 महीनों के लिए वेंटिलेटर कम पड़ जाएंगे.
दिल्ली में बीते सप्ताह कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों में से लगभग 30.5 प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए. सात जून को समाप्त हुए हफ़्ते में यह दर 23 फ़ीसदी और इससे पिछले हफ़्ते में 14 फ़ीसदी थी.
दिल्ली में बढ़ते कोरोना मरीज़ों की संख्या के बीच अस्पतालों में बेड्स की अनुपलब्धता का मुद्दा लगातार सामने आ रहा है. दिल्ली सरकार द्वारा उपलब्ध बेड्स और वेंटिलेटर की जानकारी के लिए ऐप लॉन्च किए जाने और समुचित बेड्स होने के दावे के बीच लगातार कोविड मरीज़ और उनके परिजन अस्पताल दर अस्पताल भटकने को मजबूर हैं.
आईसीएमआर की विशेषज्ञ डॉ. निवेदिता गुप्ता ने कहा है कि महामारी पर लगाम लगाने के लिए भारत के कद़म प्रभावी रहे हैं और इससे मृत्यु दर में कमी आने में मदद मिली है. हम अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं.
बीती 25 मई को एम्स में मनोचिकित्सा विभाग के एक वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर राजकुमार श्रीनिवास ने एक ट्वीट कर भारत में बने एन-95 मास्क की गुणवत्ता और मानकों को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा जारी एन-95 मास्क से संबंधित आंकड़ों को भी झूठ बताया था.
भारतीय लोक स्वास्थ्य संघ, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट्स के विशेषज्ञों द्वारा संकलित एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपी गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने इस महामारी से निपटने के उपायों संबंधी निर्णय लेते समय महामारी विशेषज्ञों से सलाह नहीं ली.
वीडियो: दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यहां तक की देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में भी डॉक्टर और नर्स समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी इसकी चपेट में आ रहे हैं. एम्स में अब तक क़रीब 200 कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए हैं. एम्स रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इसके लिए मास्क और पीपीई किट की ख़राब गुणवत्ता को ज़िम्मेदार ठहराया है.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत को अपनी सीमाओं के भीतर स्थिति से निपटने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, न कि यह दावा करने की कि हम अन्य देशों से बेहतर कर रहे हैं.
विशेष रिपोर्ट: देश भर के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकतर संसाधन कोविड-19 से निपटने में लगे हैं. कई जगहों पर ओपीडी और गंभीर बीमारियों से संबंधित विभाग बंद हैं और इमरजेंसी में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे मरीज़ और उनके परिजनों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में बीते 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 4,213 मामले सामने आए हैं, जो एक दिन की सर्वाधिक संख्या है और संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 67,152 हो गए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बेचैनी महसूस होने के बाद रविवार रात एम्स में भर्ती कराया गया. 87 वर्षीय सिंह को एम्स के हृदय और सीने से संबंधित वार्ड में निगरानी में रखा गया है. फिलहाल, उनकी हालत स्थिर है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल का कहना है कि यह ज़रूरी है कि हम इस कोरोना वायरस के साथ जीना सीख लें और इसकी वजह से हमारे व्यवहार में आ रहे बदलावों की आदत डाल लें.
दिल्ली सरकार ने गुरुवार रात तक राज्य में कोरोना वायरस से 66 मौतों की पुष्टि की है, लेकिन लोकनायक अस्पताल, राम मनोहिर लोहिया, लेडी हार्डिंग और एम्स के दिल्ली एवं झज्जर के कोविड सेंटर्स के आंकड़ों के अनुसार उनके यहां कुल 116 मौतें हुई हैं.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि यह बताना बहुत मुश्किल है कि यह महामारी कितना लंबी चलेगी, लेकिन हम यह यकीनन कह सकते हैं कि एक बार इस महामारी के चरम पर पहुंचने के बाद इसमें कमी आएगी.
ग़ाज़ियाबाद की नीलपदम कुंज सोसाइटी का मामला. एम्स रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया है.