दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जब तक बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक कोविड-उपयुक्त व्यवहार का आक्रामक तरीके से पालन करने की आवश्यकता है. उन्होंने संक्रमण के मामलों में बड़ी वृद्धि होने पर कड़ी निगरानी और क्षेत्र-विशेष में लॉकडाउन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
आगरा के पारस अस्पताल के मालिक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे मॉक ड्रिल के तौर पर पांच मिनट के लिए कोविड और ग़ैर कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की बात कह रहे थे. आरोप है कि इस दौरान 22 मरीज़ों की मौत हुई. मामला सामने आने के बाद एफआईआर दर्ज कर अस्पताल को सील कर दिया गया था.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बेहद दुख की बात है कि केंद्र सरकार ने इस समिति को ख़ारिज कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ़ दिल्ली की बात नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड सहित कई अन्य राज्यों की बात है, जहां केंद्र, राज्य सरकारों के काम में बाधा डाल रहा है.
कोरोना महामारी की घातक दूसरी लहर के दौरान जहां जनता तमाम संकटों से जूझ रही थी, वहीं योगी आदित्यनाथ की सरकार एक अलग वास्तविकता की तस्वीर पेश कर रही थी.
पारस अस्पताल के मालिक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह मॉक ड्रिल के तौर पर पांच मिनट के लिए कोविड और ग़ैर कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की बात कह रहे हैं. आरोप है कि इस दौरान 22 मरीज़ों की मौत हुई. मामला सामने आने के बाद उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है.
उत्तर प्रदेश में आगरा स्थित पारस अस्पताल का मामला. अस्पताल के मालिक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह मॉक ड्रिल के तौर पर पांच मिनट के लिए कोरोना मरीज़ों की ऑक्सीजन बंद करने की बात कह रहे हैं. यह घटना 26 अप्रैल की बताई जा रही है. आरोप है कि इस दौरान 22 मरीज़ों की मौत हुई.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी से युद्ध जीत लेने की घोषणा कर रहे थे, उसी समय देश में ऑक्सीजन, आईसीयू एवं वेंटिलेटर बेडों की संख्या कम की जा रही थी, लेकिन झूठे प्रचार में लिप्त सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है. संगठन ने 11 मई को कहा था कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है.
वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीबी सिंह ने कहा कि संबंधित अस्पतालों के अधिकारियों को दो दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है कि वे सरकार द्वारा निर्धारित से अधिक शुल्क क्यों ले रहे हैं. ऐसा न करने पर उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
मोदी सरकार द्वारा कोरोना वायरस को लेकर बनाए गए वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष शाहिद जमील ने पिछले कुछ महीनों में कई बार इस बात को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की थी कि कोरोना संक्रमण को लेकर नीतियां बनाते वक़्त विज्ञान को तरजीह नहीं दी जा रही है, जो अत्यधिक चिंता का विषय है.
कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान दवा, ऑक्सीजन आदि की कमी जानलेवा साबित हो रही है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे अस्पताल की चौखट और इलाज तक सहज पहुंच भी मयस्सर नहीं है.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव ने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर कब आएगी यह हम सटीक रूप से नहीं कह सकते हैं. दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के दौरान हमारे पास एक छोटी अवधि रहेगी और इस अवधि में हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम अपनी 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर दें.
इस कठिन वक़्त में सरकारों की काहिली तो अपनी जगह पर है ही, लोगों का आदमियत से परे होते जाना भी पीड़ितों की तकलीफों में कई गुनी वृद्धि कर रहा है. इसके चलते एक और बड़ा सवाल विकट होकर सामने आ गया है कि क्या इस महामारी के जाते-जाते हम इंसान भी रह जाएंगे?
वीडियो: भारत इन दिनों कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. पिछले करीब एक महीने से लगातार तीन लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी इससे बुरी तरह प्रभावित है. कोरोना वायरस से जूझ रहे दिल्ली के पड़ोसी राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब का हाल.
गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल राज्य का सबसे बड़ा कोविड-19 केंद्र है. 13 मई को इस अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन का दबाव कम होने के चलते पंद्रह मरीज़ों की जान चली गई. इससे पहले 12 मई को ऑक्सीजन की कथित कमी के चलते 21 कोविड मरीज़ों और 11 मई को 26 ऐसे मरीज़ों की मौत हुई थी. विपक्ष इसके लिए राज्य की भाजपा सरकार और अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है.