शुक्रवार रात सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने एक युवक को पकड़ा, जिसने दावा किया कि दो लड़कियों सहित कुल दस लोगों को आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर होने वाले ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़काने का काम दिया गया था. युवक ने यह भी कहा कि चार किसान नेताओं की हत्या की साज़िश रची गई है.
पिछले कई दौर की बातचीत के विपरीतइस बार अगली बैठक की कोई तारीख़ तय नहीं हुई है. केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के विरोध में लगभग दो महीने से हज़ारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि संबंधित क़ानून किसानों के ख़िलाफ़ और कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में हैं.
किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के 18 महीनों के लिए कृषि क़ानून स्थगित रखने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए क़ानूनों को पूरी तरह रद्द करने और एमएसपी के लिए क़ानून बनाने की मुख्य मांगें दोहराई हैं. शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बातचीत होनी है.
विशेष रिपोर्ट: नए कृषि क़ानूनों के विरोध के बीच केंद्र सरकार ने कहा था कि इसे काफ़ी विचार-विमर्श के बाद बनाया गया है. आरटीआई के तहत इससे जुड़े दस्तावेज़ मांगे जाने पर कृषि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में मामले के विचाराधीन होने का हवाला देते हुए इससे इनकार किया. आरटीआई एक्ट में कहीं भी ऐसा प्रावधान नहीं है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ क़रीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का आह्वान किया है. दिल्ली पुलिस चाहती है कि यह रैली दिल्ली के बाहर हो.
केंद्र सरकार श्रम संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे रहा है. दस केंद्रीय मज़दूर संगठनों की संयुक्त मंच द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सभी चार संहिताओं को रोक दिया जाना चाहिए और फिर इन श्रम संहिताओं पर केंद्रीय मज़दूर संगठनों के साथ सच्ची भावना से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिए.
सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.
सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए निलंबित रखने और किसान संगठनों तथा सरकार के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित करने भी प्रस्ताव रखा. किसान संगठनों ने प्रस्ताव पर चर्चा करने पर सहमति जताई है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दर्ज केंद्र की याचिका पर सीजेआई एसए बोबड़े की अगुवाई वाली पीठ ने कोई भी निर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि यह पुलिस से जुड़ा मामला है और केंद्र के पास आदेश देने का अधिकार है.
मृतक किसान की पहचान 42 वर्षीय जय भगवान राणा के तौर पर हुई है. वह हरियाणा के रोहतक ज़िले के रहने वाले थे. केंद्र के विरोध में एक महीने से ज़्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अब तक कम से कम पांच लोग दिल्ली के विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर आत्महत्या कर चुके हैं.
वीडियो: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को जोड़ने वाले राजमार्ग पर एक टोल प्लाज़ा अब एक नई विरोध स्थल और किसानों की यात्रा के लिए एक विश्राम स्थल में बदल गया है. इसे बस्ताड़ा टोल प्लाज़ा के नाम से जाना जाता है.
वीडियो: किसानों और उनके आंदोलन के ख़िलाफ़ सिर्फ सरकारी एजेंसियां ही अभियान नहीं चला रही हैं, टीवी चैनलों के ज़रिये उनकी छवि बिगाड़ने और देश विरोधी बताने के लिए झूठी कहानियां चलाई जा रही हैं. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह और पंजाब के स्वतंत्र पत्रकार शिव इंदर सिंह से उर्मिलेश की बातचीत.
किसान आंदोलन में शामिल कई लोगों को एनआईए का समन मिलने के बाद कांग्रेस और अकाली दल ने केंद्र की आलोचना की है. सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि जब खालसा एड ने गुजरात में सहायता की, तब सरकार को उसमें कुछ ग़लत नहीं लगा पर अब किसानों की मदद करने वालों के पीछे एनआईए लगा दिया गया.
मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को लेकर कहा था कि किसानों को पता नहीं है कि वे क्या चाहते हैं क्योंकि उनके पास कोई एजेंडा नहीं है. उन्हें विपक्षी दलों द्वारा अपने हितों को साधने के लिए भड़काया जा रहा है.
किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली या गणतंत्र दिवस समारोहों को बाधित करने की कोशिश करने के अन्य प्रदर्शनों पर रोक लगाने की केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह क़ानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है और फ़ैसला लेने का पहला हक़ पुलिस को है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए.