जन की बात: तमिलनाडु के सूखाग्रस्त किसान और देशभक्ति की चाशनी, एपिसोड 20

जन की बात की 20वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ तमिलनाडु के सूखा पीड़ित किसान और देशभक्ति की आड़ में मुद्दों को भटकाने की राजनीति पर चर्चा कर रहे हैं.

यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ रहीं महिलाओं को 90 दिन की छुट्टी

केंद्र सरकार के कार्यालयों में काम कर रही ऐसी महिलाएं जो यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ाई भी लड़ रहीं हैं उन्हें अब 90 दिनों की छुट्टी मिल सकेगी. इस दौरान उन्हें वेतन भी दिया जाएगा.

‘उड़ी और पठानकोट हमलों के बाद भी सरकार ने ज़रूरी कदम नहीं उठाए’

संसदीय समिति ने देश के रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर कड़ी टिप्पणी की है. समिति ने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमलों के बावज़ूद सरकार ने इसे रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए हैं.

‘जन की बात’: मीडिया की एकतरफा कवरेज और स्मार्ट सिटी योजना, एपिसोड 15

‘जन की बात’ की 15वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ टीआरपी के लिए हो रहे एकतरफा और बेतुके मीडिया कवरेज और केंद्र सरकार की बहुप्रचारित ‘स्मार्ट सिटी’ योजना पर चर्चा कर रहे हैं.

मतदान का दिन और एक कथित आईएस आतंकी का एनकाउंटर

क्या ज़्यादातर न्यूज़ चैनलों ने चुनाव के दिन जान-बूझकर ‘आईएसआईएस के कथित इंदौर-उज्जैन या लखनऊ मॉड्यूल’ का हौव्वा खड़ा किया ताकि मतदान को प्रभावित किया जा सके!

मणिपुर: जहां आठ लाशें विधानसभा चुनाव में मुद्दा हैं

मणिपुर के चूराचांदपुर के जिला अस्पताल के मुर्दाघर में पिछले करीब 550 दिनों से आठ लाशें दफनाए जाने का इंतजार कर रही हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में यह प्रमुख मुद्दा है.

‘आधार को अनिवार्य बनाना मिड डे मील जैसी योजनाओं में बाधक’

मिड डे मील योजना में बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है.

मुआवज़ा समाधान नहीं, किसानों की आत्महत्या रोके सरकार: सुप्रीम कोर्ट

गुजरात के किसानों की दुर्दशा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि आत्महत्या के पीछे के कारणों पर ग़ौर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

विकास योजनाओं में अदूरदर्शिता का विनाशकारी मॉडल है फरक्का बैराज

विशेषज्ञों का मानना है कि फरक्का बैराज परियोजना से जितना फायदा हुआ उससे कई गुना ज़्यादा नुकसान हो चुका है. इसका कोई समाधान न निकाला गया तो व्यापक तबाही के लिए तैयार रहना होगा.

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