लॉकडाउन: मार्च से वेतन नहीं मिलने पर फैक्टरी के बाहर धरने पर बैठे मजदूर

पुलिस ने बताया कि नोएडा के फेस-तीन में स्थित फैक्टरी मार्च से बंद थी. इसे सरकार के आदेश पर खोला गया है. फैक्टरी प्रबंधन का कहना है कि खरीददार से भुगतान नहीं मिलने के कारण मजदूरों को वेतन देने में असुविधा हो रही है.

मनरेगा को कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताने वाले मोदी इसी के सहारे संकट का समाधान खोज रहे

कोरोना संकट से बढ़ती बेरोजगारी में मनरेगा रोजगार गारंटी योजना ही एकमात्र सहारा रह गया है. लोगों को रोजगार देने की उचित नीति नहीं होने के कारण मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में मनरेगा का बजट लगभग दोगुना करना पड़ा है और हाल ही में घोषित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये को जोड़ दें तो ये करीब तीन गुना हो जाएगा.

यूपी: श्रम क़ानूनों में बदलाव मज़दूरों के अनवरत संघर्ष को बरक़रार रखने की कोशिश है

उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से वापस लौटे श्रमिकों को काम देने की बात कही है, लेकिन उसके नए श्रम क़ानून यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश के मज़दूर वह न्यूनतम वेतन भी न पा सकें, जिससे वे अपने लिए एक न्यूनतम संसाधनों वाली ज़िंदगी बनाए रख सके.

दिल्ली-यूपी सीमा पर फंसे मज़दूर ने कहा, ‘मैं वापस नहीं आऊंगा भले घर पर भीख मांगनी पड़े’

लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार हुए दिल्ली और आसपास के इलाकों में रह रहे मज़दूर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्थित अपने घर वापस लौट रहे थे, लेकिन पुलिस द्वारा पैदल आगे जाने से रोके जाने पर ये लोग दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर फंस गए हैं.

मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज सवालों के घेरे में क्यों है?

केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है. यानी कि केंद्र इतनी ही राशि खर्च करेगा. सरकार ने अधिकतर राहत कर्ज या कर्ज के ब्याज में कटौती के रूप में दी है.

गुजरात: घर भेजे जाने की मांग को लेकर मज़दूरों का हिंसक प्रदर्शन, अहमदाबाद और राजकोट में पथराव

सोमवार को अहमदाबाद में घर लौटने की मांग को लेकर लगभग सौ मज़दूर सड़कों पर उतर आए और पथराव व तोड़-फोड़ की. इससे पहले रविवार को राजकोट में कामगारों ने गृह राज्य भेजने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मी और एक पत्रकार घायल हुए हैं.

गुजरात: अहमदाबाद में बस अड्डे पर लावारिस हालत में मिला कोरोना मरीज का शव

67 वर्षीय मृतक को अहमदाबाद सिविल अस्पताल के कोविड आइसोलेशन वार्ड में 10 मई को भर्ती कराया गया था. 13 मई को उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को भी आइसोलेशन में भेज दिया गया था.

पैदल चल रहे प्रवासियों को पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए सरकार: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पैदल अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर वह मजदूरों की मौजूदा स्‍थ‌ितियों के मद्देनजर आदेश जारी नहीं करती है, तो उसकी भूमिका के साथ न्याय नहीं होगा.

कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए भारत सहित 62 देशों ने प्रस्ताव पेश किया

यह प्रस्ताव 35 देशों और यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों की ओर से पेश किए गए सात पेज के मसौदा प्रस्ताव का हिस्सा है. अमेरिका और चीन इस प्रस्ताव का हिस्सा नहीं हैं.

लॉकडाउन: दिल्ली में फोन पर बात करते सड़क किनारे रोते श्रमिक ने कहा- मज़दूरों का कोई देश नहीं

दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी श्रमिक रामपुकार पंडित की मोबाइल फोन पर बात करते रोते हुए तस्वीर बीते दिनों सुर्ख़ियों में रही थी. उनके बेटे की मौत हो गई है और वे अब तक परिवार से नहीं मिल सके हैं.

मोदी को इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ बोलना चाहिए: गल्फ न्यूज़ के पूर्व संपादक

वीडियो: गल्फ न्यूज़ के पूर्व संपादक ख़ालिद अल-मीना भारत में कोरोना और मुस्लिमों को लेकर हुए विवादों पर कहते हैं कि मैं भारत के हिंदू भाइयों को मैसेज देना चाहता हूं कि अरब में जब कोरोना आया तो हमने धर्म-पहचान-देश देखे बिना सबको बराबर का इलाज दिया.कुछ बुरे लोगों को अपने देश का नाम ख़राब मत करने दीजिए, हिंसा की बात मत कीजिए. उनसे द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से सरकारी खजाने पर 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी कम का भार पड़ेगा

केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है. सरकार ने अधिकतर राहत कर्ज या कर्ज के ब्याज में कटौती के रूप में दी है.

मोदी के आर्थिक पैकेज का 10 फीसदी से भी कम हिस्सा गरीबों और बेरोजगारों को राहत के लिए है

सरकार ने राहत पैकेज का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा कर्ज, ब्याज पर छूट देने इत्यादि के लिए घोषित किया है, जिसका फायदा बड़े बिजनेस वाले ही अभी उठा रहे हैं. यदि ज्यादा लोगों के हाथ में पैसा दिया जाता तो वे इसे खर्च करते और इससे खपत में बढ़ोतरी होती, जिससे अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में काफी मदद मिलती.

कोविड-19 के संकट काल में भारत का मध्यम वर्ग कहां है?

मध्यम वर्ग को पता है कि छह साल में उसकी कमाई घटी ही है, बिजनेस में गच्चा ही खाया है. उसके मकानों की कीमत गिर गई है, हर राज्य में सरकार नौकरी की प्रक्रिया की दुर्गति है, वह सब जानता है, लेकिन ये समस्याएं न तो नौजवानों की प्राथमिकता हैं और न ही उनके मध्यमवर्गीय माता-पिता की.

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