भारत में लगातार तीसरे दिन कोरोना वायरस संक्रमण के चार लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही कुल मामलों की संख्या बढ़कर 21,892,676 हो गई है और अब तक 238,270 लोग महामारी की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण के 15.69 करोड़ से ज़्यादा मामले हो गए हैं, जबकि 32.70 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
भारत में पिछले साल कोरोना वायरस की दस्तक के बाद यह पहली बार है, जब लगातार दूसरे दिन चार लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं. इसके साथ ही कुल मामलों की संख्या 21,491,598 हो गई है और मृतक संख्या 234,083 है. विश्व में संक्रमण के 15.60 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 32.56 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
वीडियो: भारत में कोरोना वायरस अभूतपूर्व क्षति का कारण बन रहा है. देश में स्थिति इतनी खराब होती जा रही है कि लोग चिकित्सा संसाधनों की कमी के कारण भी मर रहे हैं.
भारत में कोरोना वायरस महामारी के दस्तक के बाद मई महीने में यह दूसरी बार है, जब एक दिन में संक्रमण के चार लाख से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं. देश में संक्रमण का कुल आंकड़ा 21,077,410 हो गया है और मृतकों की संख्या बढ़कर 230,168 हो चुकी है. विश्व में संक्रमण के 15.52 करोड़ से ज़्यादा मामले हैं और 32.43 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची का कहना है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भारत की स्थिति बेहद निराशाजनक है और भारत सरकार को तत्काल अस्थायी फील्ड अस्पताल बनाने के लिए सैन्य बलों समेत सभी संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 20,665,148 हो गए हैं और अब तक 226,188 लोग इस महामारी से अपनी जान गंवा चुके हैं. विश्व में संक्रमण का आंकड़ा 15.43 करोड़ से ज़्यादा है, जबकि 32.28 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
भारत में कोविड संक्रमण के मामले 19 दिसंबर को एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गए थे. 107 दिन बाद पांच अप्रैल को मामले 1.25 करोड़ पर पहुंच गए. हालांकि महामारी के मामलों को 1.5 करोड़ का आंकड़ा पार करने में महज 15 दिन लगे और 1.5 करोड़ से दो करोड़ के पार होने में भी सिर्फ़ 15 दिन लगे. विश्व में संक्रमण के कुल मामले 15.35 करोड़ से ज़्यादा है और 32.14 लाख से अधिक लोगों की मौत हो
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 19,925,604 हो गई है, जबकि ये महामारी अब तक 218,959 लोगों की जान ले चुकी है. विश्व में संक्रमण के मामले 15.28 करोड़ से ज़्यादा हैं और जान गंवाने वालों का आंकड़ा 32 लाख के पार चला गया है.
29 अप्रैल को जौनपुर के ज़िला अस्पताल के बाहर एक एंबुलेंस संचालक ने ऑक्सीजन और बेड न पा सके कई मरीज़ों को एंबुलेंस के सिलेंडर से ऑक्सीजन दी थी. ज़िला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के शासन-प्रशासन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और मरीज़ों को ग़लत ढंग से ऑक्सीजन देने जैसे आरोपों के बाद उन पर मामला दर्ज किया गया है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या अब तक 19,557,457 है. इसके अलावा इस महामारी से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 215,542 हो गया है. विश्व में 15.22 करोड़ से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आए हैं और 31.92 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 19,164,969 हो गई है तथा इस महामारी से जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 211,853 हो गया है. विश्व में संक्रमण के 15.14 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और 31.80 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
भारत में कोविड-19 संक्रमण के कुल 18,762,976 मामले सामने आ चुके हैं और अब तक 208,330 लोगों की जान जा चुकी है. विश्व में संक्रमण के मामले 15.05 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं और 31.66 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है. सर्वाधिक प्रभावित तीसरे देश ब्राज़ील में एक महीने में एक लाख लोगों की मौत हुई है. मरने वालों की संख्या के लिहाज़ से यह अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है.
देश में बीते एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक 379,257 मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद कुल मामले 18,376,524 हो गए है. इसके अलावा इस महामारी की चपेट में आकर जाने गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 204,832 हो चुकी है. विश्व में संक्रमण के 14.96 करोड़ से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और 31.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि महामारी की स्थिति के बीच चारधाम यात्रा का संचालन संभव नहीं है. बीते हफ़्ते हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यात्रा संबंधी एसओपी जारी करने का निर्देश देते हुए कहा था कि चारधाम यात्रा को दूसरा कुंभ बनने नहीं दिया जा सकता.
अमूमन कुंभ मेला हर बारह साल पर लगता है, लेकिन इस बार हरिद्वार में हुआ कुंभ पिछली बार हुए आयोजन के ग्यारह साल बाद हुआ क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने से कहीं अधिक ज़रूरी ज्योतिषियों को ख़ुश रखना था.