विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट में कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार 2020 में कोविड-19 से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कम से कम 30 लाख लोगों की मौत हुई, जो देशों द्वारा बताई गई आधिकारिक आंकड़े से लगभग दोगुनी अधिक है.
72 वर्षीय राजकुमार केसवानी बीते दिनों कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद हुए फेफड़ों के संक्रमण के चलते भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां शुक्रवार को उनका देहांत हो गया. वे भोपाल गैस त्रासदी से पहले यूनियन कार्बाइड की सुरक्षा चूक पर ध्यान दिलाने की रिपोर्टिंग और उनके साप्ताहिक सिनेमा कॉलम के लिए जाने जाते थे.
गंगा में बहे शवों को देखकर व्यथित हुई गुजराती कवियत्री पारुल खक्कर ने अपने दुख को चौदह पंक्तियों की की कविता की शक्ल दी, जिसे लेखकों के साथ-साथ आमजनों ने भी पसंद किया. हालांकि इसके बाद मूल रूप से गैऱ राजनीतिक पारुल सत्तारूढ़ भाजपा की ट्रोल आर्मी के निशाने गईं.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है. संगठन ने 11 मई को कहा था कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है.
देशभर में कोरोना संक्रमितों या इससे उबर चुके लोगों में ब्लैक फंगस संक्रमण देखा जा रहा है, पर मध्य प्रदेश में स्थिति बेहद ख़राब है. लगातार कई शहरों में बढ़ते मामलों और मौत की ख़बरों के बीच दवा और इंजेक्शन का अभाव तो बना ही है, वहीं सरकार को अब तक राज्य में आए ऐसे कुल मामलों की जानकारी तक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को सलाह के तौर पर लेना चाहिए और उसे लागू करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे शहर के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज की बुरी स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शहरों का यह हाल है तो छोटे शहरों और गांवों के संबंध में राज्य की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही कही जा सकती है.
नौ जनवरी 1927 को उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में जन्मे सुंदरलाल बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है. उन्होंने 70 के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की थी. पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 26,031,991 हो गए हैं और अब तक 291,331 लोगों की जान जा चुकी है. विश्व में संक्रमण के 16.55 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं और 34.30 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
क्या पैसे, शोहरत और सुरक्षा की परवाह किए बगैर चुपचाप समाज के सबसे वंचित तबके की मदद करने वाले डॉ. प्रदीप बिजलवान के अस्पताल और ऑक्सीजन की जद्दोजहद के बीच गुज़र जाने के कोई मायने हैं? क्या वे भी उस सरकारी रिकॉर्ड में मौत का महज़ एक आंकड़ा बनकर रह जाएंगे, जिसमें आज की तारीख़ में लगभग दो लाख मौतें दर्ज हैं?
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने लोगों से टीकाकरण में राज्य सरकार का साथ देने और मुख्यमंत्री राहत कोष या असम आरोग्य निधि में पैसा दान करने की अपील की. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में वित्तीय संकट में नहीं है और उसके पास अपनी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त बजट है.
116 पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद पहली और दूसरी लहर के बीच मिले समय का इस्तेमाल अहम संसाधन जुटाने में नहीं किया गया. इससे भी अधिक अक्षम्य है कि टीकों का पर्याप्त भंडार जमा करने की पूर्व में योजना नहीं बनाई गई जबकि भारत दुनिया के अहम टीका आपूर्तिकर्ताओं में एक है.
मामला सागर ज़िले के रहली क़स्बे का है, जहां कोरोना कर्फ्यू के दौरान सब्ज़ी लेने जा रही एक महिला के मास्क न पहनने पर कथित रूप से कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें सड़क पर पीटा और बाल पकड़कर घसीटा. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एक महिला आरक्षक सहित दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है.
कोविड-19 से जूझ रहे मरीज़ों में पाए जा रहे ब्लैक फंगस संक्रमण अथवा म्यूकरमाइकोसिस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने को कहा है.
वीडियो: उत्तराखंड में 16 हज़ार से अधिक बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. इस घटना ने महामारी की तीसरी लहर आने की चिंताओं को बढ़ा दिया है.
मध्य प्रदेश से कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने वैज्ञानिक तौर पर यह मान लिया है कि गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है, जैसा भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि गोमूत्र पीने से कोविड नहीं होगा, क्योंकि इससे फेफड़ों का इंफेक्शन दूर होता है.