छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री जय सिंह अग्रवाल का कहना है कि कोयले की खुली खदानों और कोयले के ईंधन से चलने वाले संयंत्रों के कारण कोरबा अत्यधिक प्रदूषित है और क्षेत्र के तक़रीबन 12 प्रतिशत लोग पहले से ही दमा और ब्रोंकाइटिस से पीड़ित हैं.
मामला दिल्ली के बवाना इलाके का है. पुलिस ने कहा कि तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम से मध्य प्रदेश के भोपाल से लौटे 22 वर्षीय महबूब अली जब अपने गांव पहुंचा तो अफवाह फैल गई कि उसकी कोरोना वायरस फैलाने की योजना है.
झारखंड के गुमला ज़िले में ये अफवाह उड़ायी गई थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने के लिए मुस्लिम जान-बूझकर जगह-जगह पर थूक रहे हैं.
देश के विभिन्न शहरों से तमाम परेशानियों के बाद अपने गांव पहुंचे मज़दूरों को गांव के स्कूलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया है. अधिकांश स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय आदि से जुड़ी अव्यवस्थाओं के चलते मज़दूरों का यह 'एकांतवास' नए संघर्ष में बदल गया है.
इस सप्ताह भारतीय राजदूतों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनयिकों को अनिवासी भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों से पीएम केयर्स फंड के लिए धन जुटाने के लिए कहा था.
कोरोना वायरस से निपटने में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. हालांकि इसके जैसा ही पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्राप्त राशि का काफ़ी कम हिस्सा ख़र्च किया जा रहा है और 2019 के आख़िर तक में इसमें 3800 करोड़ रुपये का फंड बचा था.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी नियोक्ता, चाहे वह उद्योग में हों या दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में, लॉकडाउन की अवधि में अपने श्रमिकों के वेतन का भुगतान बिना किसी कटौती के करेंगे.
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ की वजह से लोगों को राहत देने के लिए श्रम मंत्रालय ने यह कदम उठाया है.
इन समितियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे कोरोना महामारी से विभिन्न क्षेत्रों में खड़ी हुई समस्याओं की पहचान कर उसका प्रभावी समाधान निकालेंगे.
घटना झारखंड के पलामू ज़िले के चाक उदयपुर की है. पुलिस ने बताया कि विभिन्न शहरों से चार मज़दूर अपने गांव लौटे थे, जिन्हें जांच के बाद 14 दिन तक अपने घर में क्वारंटाइन रहने का निर्देश दिया गया था. लेकिन वे घूमते हुए एक दुकान पर पहुंच गए थे.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि देश में स्थिति इतनी गंभीर है कि प्रति 11,600 भारतीयों पर एक डॉक्टर और 1,826 भारतीयों के लिए अस्पताल में एक ही बेड है.