साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद राज्य में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी. मारे गए ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न ज़िलों के प्रभावित किसानों ने हलफ़नामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी ज़मीन का अधिग्रहण किया जाए.
गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता संजीव भट्ट ने याचिका दायर आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट का रुख़ करने के लिए उनके पति को हिरासत में किसी काग़ज़ पर हस्ताक्षर करने की इजाज़त नहीं दी जा रही है.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न जिलों के प्रभावित किसानों ने हलफनामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए.
वर्ष 1996 में गुजरात के बनासकांठा में कथित तौर पर मादक पदार्थ रखने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ़्तार करने का मामला. उस वक्त पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट बनासकांठा ज़िले के पुलिस अधीक्षक थे.
2002 में गुजरात में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी. इस घटना में मारे गए ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे.
अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पोक्सो क़ानून की जानकारी न होने से युवाओं का जीवन ख़राब हो रहा है. इससे लोगों को अवगत कराना ज़रूरी है.
गुजरात दंगों के दौरान आणंद ज़िले के ओडे कस्बे में एक घर में लगाई गई आग में अल्पसंख्यक समुदाय के 23 लोग जलकर मर गए थे. एसआईटी अदालत ने 23 लोगों को सज़ा सुनाई थी.
गुजरात दंगों में षड्यंत्र के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल द्वारा ‘क्लीनचिट’ देने के फैसले को ज़ाकिया ने गुजरात हाईकोर्ट में दी थी चुनौती.
गुजरात हाईकोर्ट ने दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों के पुनर्निमाण एवं मरम्मत के लिए राज्य सरकार को पैसों के भुगतान करने के लिए कहा था.
सरकार ने चुपके से स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन से जुड़े नियमों में बदलाव किए, जिसका सीधा फ़ायदा अडानी समूह को पहुंचा.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है.
बिलकिस बानो को इंसाफ मिल पाया क्योंकि शेष भारत और देश की अन्य संस्थाओं में अभी अराजकता की वह स्थिति नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में प्रश्रय दिया था. पर अब धीरे-धीरे यह अराजकता प्रादेशिक सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रीय होती जा रही है.