सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन ने अदालत को बताया कि तुलसीराम प्रजापति ने उसे बताया था कि उसके भाई को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारा गया है. सोहराबुद्दीन के साथी प्रजापति की भी 2006 में एक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मौत हुई थी.
द वायर एक्सक्लूसिव: एक मुख्य गवाह के बतौर आज़म खान गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता हरेन पांड्या की हत्या से लेकर सोहराबुद्दीन शेख़ के एनकाउंटर से जुड़े कई राज़ जानते हैं. यही वजह है कि उन्हें अपनी जान पर ख़तरा नज़र आ रहा है.
हम भी भारत की 55वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी भाजपा नेता हरेन पांड्या हत्याकांड को लेकर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और द कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल से चर्चा कर रही हैं.
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान एक गवाह ने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा के कहने पर सोहराबुद्दीन ने हरेन पंड्या की हत्या की थी.
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि चूंकि अब स्थिति हद से बाहर निकल गई है इसलिए उन्हें ऐसा क़दम उठाना पड़ रहा है. दो हफ्ते पहले एबीवीपी ने गुहा को एंटी-नेशनल क़रार देते हुए वाइस चांसलर से उनकी नियुक्ति रद्द करने की मांग की थी.
बेस्ट ऑफ 2018: आरबीआई अधिनियम की धारा 7 का इस्तेमाल जनहित में नहीं है- यह मौके की फ़िराक़ में बैठे कॉरपोरेट्स को आरबीआई द्वारा पैसा देने के लिए मजबूर करने के इरादे से उठाया गया एक बेशर्मी भरा कदम है.
सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के नर्मदा ज़िले के केवड़िया में उनकी 182 फुट ऊंची प्रतिमा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया अनावरण. 72 गांवों के क़रीब 75,000 आदिवासी प्रतिमा के अनावरण का विरोध करने को कहा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण करने वाले हैं. अादिवासियों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट उनके लिए विनाशकारी है. इसके विरोध में 72 गांवों में खाना नहीं पकेगा.
आरोपियों ने सातों लोगों को जल्द से जल्द गुजरात छोड़ने की धमकी दी है. पीड़ितों में एक शख्स सिविल इंजीनियर है और बाकी छह लोग प्लंबर हैं.
28 सितंबर को गुजरात के साबरकांठा ज़िले में 14 महीने की मासूम से बलात्कार का आरोप बिहार मूल के एक व्यक्ति पर लगने के बाद राज्य के आठ ज़िलों में उत्तर भारतीय मज़दूरों के ख़िलाफ़ हिंसा शुरू हो गई जिसके बाद वहां से पलायन जारी है.
जब प्रधानमंत्री अपने 2019 के चुनावी मंसूबों को नए-नए पंख लगाने के फेर में हैं, उनके गृहराज्य गुजरात के उपद्रवी तत्व एक बच्ची से बलात्कार का बदला लेने के बहाने उनके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे की हवा निकाल देने में लगे हुए है.
जन गण मन की बात की 314वीं कड़ी में विनोद दुआ सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद हो रही राजनीति और गुजरात में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हो रहे हमलों पर चर्चा कर रहे हैं.
बीते 28 सितम्बर को एक बच्ची के साथ बलात्कार करने के आरोप में बिहार के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद से ही गैर-गुजरातियों को निशाना बनाया जा रहा और सोशल मीडिया पर घृणा संदेश फैलाए गए.
गुजरात में मासूम से बलात्कार की घटना के बाद वहां के लोग यूपी-बिहार के लोगों के ख़िलाफ़ गोलबंद हो गए हैं. इसमें उनकी गलती नहीं. हाल के दिनों में बलात्कार को राजनीतिक रूप देने के लिए धार्मिक पृष्ठभूमि को उभारा गया है ताकि उसके बहाने एक समुदाय विशेष पर टूट पड़ें.
सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने बताया कि गुजरात दंगों के समय स्थिति संभालने पहुंचे सेना के दल को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध के बावजूद प्रशासन द्वारा समय पर ज़रूरी सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई थीं. अगर सेना को सही समय पर गाड़ियां मिल गई होतीं, तो नुकसान बेहद कम होता.