जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद कश्मीरियों के साथ दुर्व्यवहार की खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.
कोर्ट ने केंद्र और 10 राज्यों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि राज्यों के नोडल अफसर कश्मीरी और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा तथा भेदभाव को रोकें.
याचिका में आरोप लगाया गया कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद कश्मीर घाटी के छात्रों पर देशभर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में हमला किया जा रहा है और संबंधित प्राधिकारियों को इस प्रकार के हमले रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए.
एक फरवरी को दुर्घटनाग्रस्त हुए मिराज-2000 विमान में स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी. एक याचिका में दुर्घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत की निगरानी में समिति बनाने की मांग की गई थी.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि नए सीबीआई निदेशक की नियुक्त हो जाने के कारण वे इस मामले में कोई दखल नहीं देंगे. इसके अलावा पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के लिए दिशानिर्देश जारी करने से भी इनकार कर दिया.
याचिका में आरोप लगाया है कि मायावती, जो उस समय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, का महिमामंडन करने के इरादे से मूर्तियों के निर्माण पर 2007-12 के दौरान सरकारी ख़जाने से करोड़ों रुपये ख़र्च किए गए हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया अब तक पूरी हो जानी चाहिए थी क्योंकि यह पहले से ही मालूम था कि एजेंसी प्रमुख जनवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
जस्टिस एनवी रमना ने ये कहते हुए सुनवाई करने से मना कर दिया कि वे नागेश्वर राव के बेटी की शादी में गए थे. राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.
एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे से जस्टिस एके सीकरी ने कहा, ‘कृपया मेरी स्थिति को समझें. मैं ये मामला नहीं सुन सकता हूं.’
मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि वह नए सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए 24 जनवरी 2019 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में भाग ले रहे हैं, इसलिए वे इस मामले में सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेज़ी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा.