कश्मीर घाटी के बांदीपोरा क़स्बे के रहने वाले पत्रकार साजिद रैना ने साल 2006 में एक नाव हादसे में मारे गए 22 बच्चों की तस्वीर अपने वॉट्सऐप पर लगाते हुए उन्हें ‘वुलर झील के शहीद’ कहा था, जिसे लेकर उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने जनवरी 2020 में पुलिस अधिकारी दविंदर सिंह को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर एक गाड़ी में दो आतंकियों के साथ पकड़ा था. सिंह पर एनआईए ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को मदद देने का आरोप लगाया है.
अलगाववादी नेता मोहम्मद अशरफ सेहराई जम्मू कश्मीर पुलिस की पीएसए के तहत निवारक हिरासत के दौरान अस्पताल में भर्ती थे, जहां पांच मई को उनकी मौत हो गई. आरोप है कि उनके जनाज़े में उनके दो बेटों- 35 वर्षीय राशिद सेहराई और 33 वर्षीय मुजाहिद सेहराई ने देशद्रोही नारे लगाए थे.
पुलिस का दावा है कि ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि हिंसा को फैसले से रोका जा सके, क्योंकि एनकाउंटर वाले स्थान से रिपोर्टिंग करने पर ‘देशविरोधी भावना’ भड़कती है. हालांकि एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सत्य बताने में कुछ भी ग़लत नहीं है.
फ्रंटलाइन पत्रिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 जनवरी 2019 से 13 फरवरी 2019 तक मिली श्रृंखलाबद्ध ख़ुफ़िया जानकारियों पर अगर सुरक्षा एजेंसियों ने सफलतापूर्वक कार्रवाई की होती, तो पुलवामा आतंकी हमले को रोका जा सकता था.
जम्मू कश्मीर के न्यूज़ पोर्टल द कश्मीर वाला के दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ यह मामला सेना की शिकायत पर उनकी एक रिपोर्ट के लिए दर्ज किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया था कि शोपियां ज़िले के एक मदरसे को गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने के लिए सेना द्वारा मजबूर किया गया था.
श्रीनगर के बाहरी इलाके लवायपोरा में 29-30 दिसंबर को एक कथित मुठभेड़ में तीन संदिग्ध आतंकियों का मार गिराया गया था, जिसमें से एक 16 साल का किशोर था. यह इस तरह की दूसरी घटना है, जिसमें मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकी के परिजन के ख़िलाफ़ पुलिस ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने लोगों से ‘साइबर क्राइम वालंटियर’ बनने की अपील की है, जो ऑनलाइन उपलब्ध ग़ैर क़ानूनी बातें जैसे चाइल्ड पोर्नोग्राफी, आतंकवाद, कट्टरता, राष्ट्रविरोध आदि के बारे में सरकार को बताएंगे. कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसे सत्ता के ख़िलाफ़ बोलने वालों के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा सकता है.
जम्मू कश्मीर के शोपियां के अमशीपुरा इलाके में पिछले साल 18 जुलाई को तीन मज़दूरों को आतंकी बताकर मुठभेड़ में सेना द्वारा मार दिया गया था. एसआईटी ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि सेना के कैप्टन सहित तीनों आरोपी पुरस्कार के 20 लाख रुपये पाने के लिए ग़लत सूचनाएं देते रहे. हालांकि सेना ने पुरस्कार दिए जाने की बात से इनकार किया है.
टेरर फंडिंग के आरोप में एनआईए द्वारा गिरफ़्तार पीडीपी की युवा इकाई के नेता वहीद पारा को शनिवार को अदालत ने ज़मानत देते हुए कहा था कि उन पर लगाए आरोपों का कोई अर्थ नहीं है. इसी दिन उनकी रिहाई के फौरन बाद पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने एक अन्य मामले में उन्हें हिरासत में ले लिया.
जम्मू कश्मीर: डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिलने के बाद कारोबारी की हत्या, आतंकियों ने दी और हमलों की चेतावनी
मूल रूप से पंजाब के रहने वाले श्रीनगर के 70 वर्षीय कारोबारी सतपाल निश्चल को कुछ हफ्ते पहले नए नियमों के तहत डोमिसाइल प्रमाणपत्र मिला था. एक आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने उन पर हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा है कि डोमिसाइल प्रमाणपत्र हासिल करने वाले ऐसे सभी बाहरी आरएसएस एजेंट्स हैं.
कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले में पीड़ित पक्ष की वकील रहीं दीपिका सिंह राजावत ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर दो स्केच पोस्ट किए थे, जिन्हें लेकर उन पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है. दीपिका का कहना कि एफआईआर क़ानून का दुरुपयोग करते हुए भाजपा और अन्य भगवा संगठनों के दबाव में दर्ज की गई है.
जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों और नाबालिगों से जुड़े केस लड़ने वाले वकील बाबर क़ादरी ने तीन दिन पहले एक ट्वीट कर पुलिस से उनके ख़िलाफ़ दुष्प्रचार करने वाले एक फेसबुक उपयोगकर्ता के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का अनुरोध किया था. उनका कहना था कि इससे उनकी जान को ख़तरा हो सकता है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकियों को आश्रय देने के आरोप में 23 वर्षीय इरफ़ान अहमद डार नाम के एक युवक को हिरासत में लिया था. पुलिस का दावा है कि इरफ़ान हिरासत से भाग गए थे और बाद में उनका शव मिला था, लेकिन उसने मौत का कोई कारण नहीं बताया है.
जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले की मारवाह तहसील के निवासी ज़हूर अहमद को 6 जनवरी को गिरफ़्तार किया गया था. उन पर आतंकवादियों को शरण देने और आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप लगाए गए थे. उन पर यूएपीए के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था.