उपासना स्थलों पर 1991 के क़ानून के ख़िलाफ़ याचिका के विरोध में याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर उपासना स्थल अधिनियम, 1991 को चुनौती दी है, जिसके तहत राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छोड़कर अन्य धार्मिक स्थल से संबद्ध ऐसे किसी भी विवाद को अदालत नहीं लाया जा सकता. लखनऊ की 350 साल पुरानी टीलेवाली मस्जिद से जुड़े वसीफ़ हसन ने इसे चुनौती दी है.

अयोध्या: नये राम मंदिर के लिए ढहाया गया तीन सौ साल पुराना ऐतिहासिक राम जन्मस्थान मंदिर

300 साल पुराना जन्मस्थान मंदिर 1980 के दशक में शुरू हुए रामजन्मभूमि आंदोलन के पहले राम के जन्म से जुड़ा था और एक मुस्लिम ज़मींदार द्वारा दान दी गई ज़मीन पर बनाया गया था. यह राम की सह-अस्तित्व वाली उस अयोध्या का प्रतीक था, जिसका नामो-निशान अब नज़र नहीं आता.

अयोध्या: इंसाफ के बजाय इंसाफ से फासला बढ़ाने वाला फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट भी विवादित भूमि रामलला को देते हुए यह नहीं सोचा कि उसका फ़ैसला न सिर्फ छह दिसंबर, 1992 के ध्वंस बल्कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात मस्जिद में मूर्तियां रखने वालों की भी जीत होगी. ऐसे में अदालत का इन दोनों कृत्यों को ग़ैर-क़ानूनी मानने का क्या हासिल है?

क्या अयोध्या मामले में न्याय को तरजीह नहीं दी गई?

बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद में ‘सार्वजनिक शांति और सौहार्द’ बनाए रखने के लिए विवादित ज़मीन को न बांटने का जजों का निर्णय बहुसंख्यक दबाव से प्रभावित लगता है, जिसमें मुस्लिम पक्षकारों के क़ानूनी दावे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

अयोध्या के फ़ैसले पर दोबारा विचार करे अदालत

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित ज़मीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए हिंदू पक्ष को ज़मीन देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से हिंदुस्तान की राजनीति और समाज में क्या बदलाव आएगा, इस पर चर्चा कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला विचित्र तर्क पर आधारित है

यह सोचना मूर्खतापूर्ण है कि अयोध्या पर आया फ़ैसला सांप्रदायिक सद्भाव लाएगा. 1938 के म्यूनिख समझौते की तरह तुष्टीकरण सिर्फ आक्रांताओं की भूख को और बढ़ाने का काम करता है.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के भारत के भविष्य के लिए क्या मायने हैं?

शनिवार को शीर्ष अदालत ने उन लोगों के पक्ष में फ़ैसला दिया, जो सीधे तौर पर बाबरी मस्जिद गिराने के मुख्य आरोपियों से जुड़े हुए हैं. और यह देश के लिए ठीक नहीं है.

अयोध्या विवाद आस्था और तार्किकता के बीच की लड़ाई है: इतिहासकार डीएन झा

साक्षात्कार: प्रख्यात इतिहासकार डीएन झा से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद, इससे जुड़े ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांप्रदायिक पहलुओं पर बातचीत.

हम भी भारत: अयोध्या फ़ैसले से बदलेगी भारत की राजनीति?

वीडियो: हम भी भारत की इस कड़ी में द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ज़मीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और इसके राजनीतिक मायनों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रही हैं.

बाबरी-रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला विरोधाभासों पर टिका है

इस मामले पर फ़ैसला देते हुए शीर्ष अदालत की संवैधानिक पीठ ने कहा कि मुस्लिम वादी यह साबित नहीं कर सके हैं कि 1528 से 1857 के बीच मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाती थी और इस पर उनका विशिष्ट अधिकार था. हालांकि हिंदू पक्षकारों के भी यह प्रमाणित न कर पाने पर उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक़ दे दिया गया है.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझना मेरे लिए मुश्किल: सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार गांगुली ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि संविधान के लागू होने के बाद वहां पहले क्या था, यह सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है. उस समय भारत कोई लोकतांत्रिक गणतंत्र नहीं था. अगर हम इस तरह बैठकर फैसला देंगे तो बहुत सारे मंदिर, मस्जिद और अन्य ढांचों को तोड़ना पड़ेगा.

अयोध्या विवाद: विध्वंस के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी लिब्रहान आयोग जैसी

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद गिराया जाना एक सोचा समझा कृत्य था. 1992 में बाबरी विध्वंस मामले की जांच लिए बने लिब्राहन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मायने

वीडियो: रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगा 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर बनाना होगा ट्रस्ट. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी. इस मुद्दे पर द वायर के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन से चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

मेरे रुख की पुष्टि हुई, मैं खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं: लालकृष्ण आडवाणी

राम जन्मभूमि आंदोलन के शिल्पकार एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन अलग से देने के फैसले का भी स्वागत किया.

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