सनातन संस्था के तीन फेसबुक पेज सितंबर 2020 में ब्लॉक कर दिए गए थे. संस्था का कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
सरकार ने कुछ दिन पूर्व ट्विटर को दिए एक नोटिस में कहा था कि उसे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून संबंधी नए नियमों के अनुपालन का आख़िरी मौका दिया जाता है. उसे तत्काल नियमों का अनुपालन करना है. अगर वह इसमें विफल रहती है, तो उसे आईटी क़ानून और अन्य दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा.
साल 2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और बीते सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के पत्रकारों को धमकी देने के बाद से इसमें इज़ाफ़ा हुआ है. 2020 में पत्रकारों पर हमले के 17 मामले दर्ज किए हुए जबकि 2021 में अब तक ऐसे सात मामले दर्ज किए गए हैं.
सरकार की ओर से आगाह किया गया है कि यदि ट्विटर आईटी नियमों का अनुपालन करने में विफल रहती है तो आईटी एक्ट और अन्य दंडात्मक कानूनों के अनुसार उसे परिणाम का सामना करना पड़ेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि ट्विटर द्वारा इन नियमों के अनुपालन से इनकार से पता चलता है कि उसमें प्रतिबद्धता की कमी है.
लेफ्ट फ्रंट के संयोजक बिजन धर ने अगरतला में हुए कुछ हमलों को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थीं, जिसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने उन पर कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए मामला दर्ज किया है. धर के अलावा माकपा के पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी और विधायक भानु लाल साहा के ख़िलाफ़ भी उनकी कई पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.
दिग्गज सोशल मीडिया मंचों और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया के साथ नये नियमों को लेकर विवादास्पद बहस ऐसे मौके पर हो रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आलोचनाओं के दमन में लगी सरकार ने टेक कंपनियों से दो-दो हाथ कर खु़ुद को अपने ही बुने चक्रव्यूह में फंसा लिया है.
टि्वटर ने अब तक आईटी मंत्रालय को उसके मुख्य अनुपालन अधिकारी का ब्योरा नहीं दिया है. हालांकि उसने नोडल संपर्क और शिकायत अधिकारी के तौर पर एक विधि कंपनी के वकील का नाम दिया है. नए नियमों के तहत यह व्यक्ति सोशल मीडिया कंपनी का कर्मचारी होना चाहिए, जो भारत में कार्यरत हो.
वॉट्सऐप का कहना है कि नए सोशल मीडिया नियम भारत के संविधान में दिए गोपनीयता के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. कंपनी के इस मुक़दमे ने मोदी सरकार और फेसबुक, गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट और ट्विटर जैसी दिग्गज तकनीकी कंपनियों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पत्र लिखकर कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘इंडियन वैरिएंट’ शब्द को कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है. संगठन ने 11 मई को कहा था कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है.
फेसबुक की नवीनतम पारदर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा इससे पहले जनवरी-जून 2020 की तुलना में 13.3 प्रतिशत ज़्यादा है. भारत में राज्यों एवं केंद्र सरकार द्वारा ऐसे अनुरोधों की संख्या 2013 से लगातार बढ़ रही है. जनवरी और जून 2013 के बीच सरकार ने लगभग 3,250 अनुरोध किए थे, जो 2020 की इसी अवधि में दस गुना बढ़कर 35,600 हो गया.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 18 मई को कंपनी को एक पत्र लिखकर कहा कि सात दिन के भीतर संतोषजनक जवाब न मिलने पर क़ानून के अनुरूप ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे. पत्र में वॉट्सऐप का इस बात की तरफ ध्यान दिलाया कि किस तरह उसकी निजता नीति मौजूदा भारतीय क़ानूनों और नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती है.
फेसबुक के स्वामित्व वाले सोशल नेटवर्किंग मंच वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने हालांकि ये साफ़ नहीं किया कि कंपनी ने किन कारणों से अपने रुख़ में बदलाव किया है. वॉट्सऐप ने जनवरी में अपनी नई निजता नीति को 8 फरवरी से लागू करने की घोषणा की थी, जिसे दुनियाभर में कड़ी आलोचना के बाद 15 मई तक टाल दिया गया था.
फेसबुक ने बृहस्पतिवार की सुबह एक बयान जारी करते हुए कहा कि उसने ग़लती से उस हैशटैग को बाधित किया, जिसमें प्रधानमंत्री के इस्तीफ़े (#ResignModi) की मांग की जा रही है. कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह मोदी सरकार के आदेश पर नहीं किया गया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम से उठाई गई तस्वीरों को बिना उस व्यक्ति की सहमति के पॉर्न वेबसाइट पर अपलोड करना आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध है. अगर फोटो आपत्तिजनक नहीं भी हैं तब भी संबंधित व्यक्ति की सहमति के बिना ऐसा करना उस शख़्स की निजता का उल्लंघन है.
एक मृतक महिला के पति ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उनकी दिवगंत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़ित बताकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, गूगल और ट्विटर से जवाब मांगा है.