रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2000 रुपये और 500 रुपये के नकली नोटों में क्रमश: 21.9 फीसदी और 221 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं 200 रुपये के नकली नोटों में 161 गुना की वृद्धि हुई.
देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना क्योंकि कुल धोखाधड़ी की 38 फीसदी धनराशि इसी बैंक से जुड़ी हुई है.
पिछले साल इसी अवधि में आपात कोष 2.32 लाख करोड़ रुपये पर था. यह वह कोष है जो केंद्रीय बैंक आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने पास रखता है.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में 71,542.93 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए. साल 2017-18 में धोखाधड़ी की राशि 41,167.04 करोड़ रुपये थी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.
आरबीआई के निदेशक मंडल ने केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया है. आरबीआई ने सरकार को जो राशि देने का फैसला किया है वह पिछले पांच सालों के मुकाबले तीन गुना अधिक है.
2012 में क़रीब 81 करोड़ रुपये का क़र्ज़ न चुकाने पर स्टेट बैंक ऑफ मैसूर ने स्टर्लिंग समूह के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया था. 2014 में इसके प्रमोटर्स को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया. लेकिन 2015 में आरबीआई के नियम के ख़िलाफ़ समूह की एक कंपनी को स्टेट बैंक के कंसोर्टियम द्वारा लोन दिया गया.
आरबीआई से इस्तीफा देने के बाद ये पहला मौका है जब उर्जित पटेल ने कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है.
रिज़र्व बैंक कर्मचारी यूनियन की ओर से कहा गया है कि इस तरह के संवेदनशील और महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. न ही वित्त मंत्री को यह काम करना चाहिए.
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक शीर्ष 100 एनपीए क़र्ज़दारों का एनपीए 4,46,158 करोड़ रुपये है, जो कि देश में कुल एनपीए 10,09,286 करोड़ रुपये का क़रीब 50 फीसदी है.
कोलकाता के यूको बैंक ने 665 डिफॉल्टर्स की सूची जारी की है. जानबूझकर कर्ज़ नहीं चुकाने वाली अन्य प्रमुख कंपनियों में जूम डेवलपर्स, फर्स्ट लिजिंग कंपनी ऑफ इंडिया, मोजर बेयर इंडिया और सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज हैं.
सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2008-2009 से 2018-19 के बीच में 2.05 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत बताया है कि पिछले 11 वित्त वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए हैं.
सूचना के अधिकार के तहत रिज़र्व बैंक से डिफाल्टरों के नाम की जानकारी मांगी गई थी.