टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने पत्रकार सुधीर चौधरी पर मानहानि का मुक़दमा दायर किया

ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी ने अपने कार्यक्रम में दावा किया था कि महुआ मोइत्रा द्वारा संसद में फासीवाद को लेकर दिया गया भाषण 'चोरी किया हुआ' था.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिल पत्रिका के ख़िलाफ़ मद्रास हाईकोर्ट में कार्यवाही पर लगाई रोक

एक निजी कॉलेज से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल के संबंध में तमिल पत्रिका नक्कीरन के ख़िलाफ़ राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लेकर निंदात्मक लेख प्रकाशित करने के आरोप में तमिलनाडु राजभवन ने शिकायत दर्ज कराई थी.

मीडिया बोल: अरबों के सरकारी विज्ञापन में फंसी मीडिया की जान

मीडिया बोल की इस कड़ी में कुछ मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न देने के मोदी सरकार के फैसले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन नाग, सत्य हिंदी वेबसाइट के संपादक आशुतोष और द वायर के सह-संस्थापक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.

जम्मू कश्मीर: 28 साल पुराने मामले में गिरफ़्तार उर्दू अख़बार के संपादक को ज़मानत मिली

जम्मू कश्मीर पुलिस ने उर्दू दैनिक आफ़ाक़ के संपादक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी को सोमवार देर रात गिरफ़्तार किया था. मंगलवार को उन्हें ज़मानत देते हुए स्थानीय अदालत ने पुलिस को फटकारते हुए कहा कि अगर क़ादरी 'घोषित अपराधी' थे तो दो बार उनका पासपोर्ट वेरीफिकेशन कैसे हुआ.

जम्मू कश्मीर: 28 साल पुराने मामले में उर्दू अख़बार के संपादक गिरफ़्तार

श्रीनगर से निकलने वाले उर्दू दैनिक आफ़ाक़ के संपादक और मालिक ग़ुलाम जिलानी क़ादरी को सोमवार देर रात उनके घर से गिरफ़्तार किया गया. पुलिस का कहना है कि 1992 में हुए एक मामले के संबंध में टाडा कोर्ट के समन पर ऐसा किया गया, वहीं क़ादरी के परिजनों का कहना है कि इसका उद्देश्य उन्हें प्रताड़ित करना है.

मीडिया बोल: डॉक्टर-हड़ताल और अदावत का क्रिकेटी जलसा

मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश देश भर में हुई डॉक्टरों की हड़ताल पर वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी, वरिष्ठ पत्रकार क़ुर्बान अली और बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ओमशंकर से चर्चा कर रहे हैं.

शुजात बुख़ारी की हत्या के एक साल बाद दर्द और सवाल दोनों ज़िंदा हैं

जून 2018 में भाजपा ने महबूबा सरकार से गठबंधन तोड़ते समय राज्यपाल शासन लगाने के कारणों में शुजात बुख़ारी की हत्या का ज़िक्र भी किया था. लेकिन, एक साल बाद भी बुख़ारी की हत्या का रहस्य बना हुआ है.

बिहार: क्या पुलिस ने फ़र्ज़ी मामला बनाकर पत्रकार रूपेश को गिरफ़्तार किया?

बीते ​छह जून को बिहार की गया पुलिस ने तीन नक्सलियों को जिलेटिन स्टिक और इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर के साथ गिरफ़्तार करने का दावा किया था.

बलात्कार पीड़िताओं के पुनर्वास पर क्यों ध्यान नहीं देती सरकार?

राजस्थान में इस साल अप्रैल तक बलात्कार के 1509 मामले सामने आए, इनमें से 349 मामलों में चालान हुआ लेकिन मुआवज़ा सिर्फ़ 50 युवतियों को ही मिला.

कर्नाटक: मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को गाली देने के आरोप में दो लोग गिरफ़्तार

सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए एक वीडियो में दो युवक कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और उनके परिवार को कथित तौर पर गाली देते हुए नज़र आए थे.

मीडिया बोल: पत्रकारों की गिरफ़्तारी, यूपी पुलिस की योगी-शैली

मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक कंटेट प्रसारित करने को लेकर तीन पत्रकारों की गिरफ़्तारी पर वकील विराग गुप्ता और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनंत बागाईतकर से चर्चा कर रहे हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया ने केवल विपक्ष से सवाल पूछा: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि सामान्य तौर पर मीडिया की भूमिका सरकार से सवाल पूछने की होती है. लेकिन यहां पर मीडिया ने केवल विपक्ष से सवाल पूछा. विपक्षी पार्टियों से सवाल पूछा गया कि उन्होंने 50 साल पहले कुछ क्यों नहीं किया? क्या मीडिया को यही करना होता है?

कर्नाटक: देवगौड़ा परिवार पर ख़बर के लिए अख़बार के संपादक और कर्मचारियों पर मामला दर्ज

अखबार ‘विश्ववाणी’ के संपादक विश्वेश्वर भट ने कहा कि खबर सूत्रों पर आधारित थी और अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वे स्पष्टीकरण जारी कर सकते थे. बहुत अधिक तो मानहानि का मामला दायर किया जा सकता था लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराना एक नई परिपाटी शुरू करने जैसा है. मैं निश्चित रूप से अदालत में इसे चुनौती दूंगा.

क्या भाजपा की जीत को ‘भारत की जीत’ कहा जा सकता है?

नरेंद्र मोदी की जीत का भारत के लिए क्या अर्थ निकलता है? एक हद तक यह उन्हें और भाजपा को दावा करने का मौका देता है कि पिछले पांच सालों में उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके प्रति जनता ने अपना विश्वास जताया है. पर क्या यह सच है?

क्या एक्ज़िट पोल पर भरोसा किया जा सकता है?

एक एक्ज़िट पोल में पश्चिम बंगाल में भाजपा को 4 से लेकर 22 सीटों तक का आकलन दिया, जिसमें 5 गुने का फर्क है. तमिलनाडु में एनडीए को 2 से 15 सीटें दी गईं, जिसमें सात गुने का फर्क है. एक चैनल ने पंजाब में भाजपा को उतनी सीटें दीं, जितनी वह लड़ ही नहीं रही. उत्तराखंड में उस आम आदमी पार्टी को भी कुछ प्रतिशत वोट दिला दिए जो वहां चुनाव मैदान में ही नहीं है.

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