सुप्रीम कोर्ट ने तमिल पत्रिका के ख़िलाफ़ मद्रास हाईकोर्ट में कार्यवाही पर लगाई रोक

एक निजी कॉलेज से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल के संबंध में तमिल पत्रिका नक्कीरन के ख़िलाफ़ राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लेकर निंदात्मक लेख प्रकाशित करने के आरोप में तमिलनाडु राजभवन ने शिकायत दर्ज कराई थी.

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​​(फोटो: पीटीआई)

एक निजी कॉलेज से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल के संबंध में तमिल पत्रिका नक्कीरन के ख़िलाफ़ राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लेकर निंदात्मक लेख प्रकाशित करने के आरोप में तमिलनाडु राजभवन ने शिकायत दर्ज कराई थी.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एक निजी कॉलेज से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल के संबंध में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लेकर कथित तौर पर निंदात्मक लेख प्रकाशित करने वाली एक तमिल पत्रिका के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी.

तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि उच्च न्यायालय ने पत्रिका ‘नक्कीरन’ और इसके संपादक की याचिका पर निचली अदालत में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाकर गलती की थी.

जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्यपाल की याचिका पर विचार करने के लिए राजी हो गई. उसने पत्रिका तथा उसके संपादक आर. गोपाल को नोटिस जारी किए.

उच्च न्यायालय ने नक्कीरन पत्रिका और उसके संपादक के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी.

उच्च न्यायालय ने पत्रिका नक्कीरन और इसके संपादक आर. गोपाल को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ निचली अदालत में लंबित कार्यवाही पर चार जून को रोक लगा दी थी.

तमिलनाडु सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पत्रिका में प्रकाशित लेखों में राज्यपाल पर अपमानजनक तरीके से हमले किए गए थे. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत मामला नहीं बनता हैं.

गोपाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत पिछले साल नौ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ घंटों में वह निजी मुचलके पर छूट गए क्योंकि स्थानीय अदालत ने उन्हें हिरासत में देने का पुलिस का अनुरोध ठुकरा दिया था.

यह धारा राष्ट्रपति और राज्यपाल आदि को विधिसम्मत अधिकार का प्रयोग करने से रोकने या इसके लिए बाध्य करने की मंशा से हमला करने से संबंधित है.

वेणुगोपाल ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 505 भी इस मामले में लागू होती है और सक्षम प्राधिकार ने इस मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी भी दे दी है.

इस पर पीठ ने कहा कि यह मामला अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है जिसने टिप्पणी की थी कि स्वतंत्रता के बाद से इस तरह का यह पहला मामला है.

अटार्नी जनरल ने उच्च न्यायालय में इस मामले में आगे कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया और कहा कि सेक्स स्कैंडल के बारे में अनेक लेख प्रकाशित किए जा चुके हैं.

पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा रही है. पीठ ने पत्रिका ओर उसके संपादक को अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

राजभवन ने नक्कीरन पत्रिका में एक निजी कॉलेज की एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर से संबंधित लेख प्रकाशित करने के बारे में शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप है कि इस महिला प्रोफेसर ने छात्राओं से अंकों और धन की एवज में विश्वविद्यालय के अधिकारियों की यौन इच्छा पूरी करने के लिए कहा था.

आरोप है कि नक्कीरन पत्रिका ने अपने लेखों में इस महिला असिस्टेंट प्रोफेसर से राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की जान-पहचान होने का दावा किया था.

द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अप्रैल महीने में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इन आरोपों का खंडन किया था. आरोपों को निराधार बताते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैं उस महिला को नहीं जानता. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’

मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले एक निजी कॉलेज की इस महिला प्रोफेसर को इस संबंध में पिछले साल अप्रैल महीने में गिरफ्तार किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, महिला प्रोफेसर का कथित तौर पर एक ऑडियो क्लिप सार्वजनिक हो गया था जिसमें वह कॉलेज की छात्राओं को इस बात के लिए प्रोस्ताहित कर रही थीं कि वे पैसे और परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए उच्च अधिकारियों को ‘खुश’ करें.

ऑडियो क्लिप में महिला प्रोफेसर ने कथित तौर यह भी दावा किया था कि वह गवर्नर को जानती हैं, जो कि विश्वविद्यालय के चांसलर हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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