देशवासियों की प्यास बुझाने का चैलेंज कौन लेगा प्रधानमंत्री जी?

नीति आयोग की ताज़ा रपट तक में कहा गया है कि आधे से ज़्यादा देशवासी या तो प्यासे हैं या दूषित पानी पीने को अभिशप्त. गांवों में यह समस्या इस अर्थ में और विकट है कि वहां 84 प्रतिशत ग्रामीण इसकी ज़द में हैं.

क्या सिविल सेवा में लैटरल एंट्री की पहल ही पेशेवरों की कमी ख़त्म करने का सबसे बेहतर तरीका है?

ज़्यादातर वरिष्ठ नौकरशाहों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार को लैटरल एंट्री के संबंध में और ज़्यादा स्पष्टीकरण देने की ज़रूरत है.

मंत्रालयों-विभागों में ‘लैटरल एंट्री’ संस्थाओं के भगवाकरण का प्रयास: वीरप्पा मोइली

प्रशासनिक सुधार आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि यह जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम है. मोदी सरकार की घोषणा में पारदर्शिता की कमी है. उसने लैटरल एंट्री की घोषणा की लेकिन कोई नीति पेश नहीं की.

आईएएस लैटरल एंट्री: असली सवाल तो सरकार की नीयत का है

लैटरल एंट्री को लेकर उठ रहे असुविधाजनक सवालों पर सरकार ने जो रुख अपना रखा है, उससे अभी से लगने लगा है कि यह व्यवस्था इतनी पारदर्शी नहीं होने जा रही कि इससे संबंधी सरकार की नीति और नीयत को सवालों से परे माना जा सके.

आईएएस लैटरल एंट्री: नौकरशाही में बदलाव के नाम पर मोदी सरकार का नया स्टंट

संयुक्त सचिव स्तर के दस पेशेवर लोगों को सरकार में शामिल करने का ख़्याल सरकार के आख़िरी साल में क्यों आया जबकि इस तरह के सुझाव पहले की कई कमेटियों की रिपोर्ट में दर्ज हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 257: भाजपा का ‘अदृश्य’ कोषाध्यक्ष और बैड बैंक 

जन गण मन की बात की 257वीं कड़ी में विनोद दुआ भारतीय जनता पार्टी में कोषाध्यक्ष से जुड़े विवाद और बैड बैंक पर चर्चा कर रहे हैं.

हम भी भारत, एपिसोड 38: यूपीएससी के बिना संयुक्त सचिवों की नियुक्ति

हम भी भारत की 38वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी मोदी सरकार द्वारा संयुक्त सचिव स्तर के दस पदों के लिए बिना लोकसेवा आयोग की परीक्षा के नियुक्तियों के आवेदन आमंत्रित करने पर पूर्व आईएएस अधिकारी सुंदर बुर्रा और हार्ड न्यूज़ पत्रिका के संपादक संजय कपूर से चर्चा कर रही हैं.

भारत में दलितों की परवाह किसे है?

अनेक ‘शुभचिंतक’ दलों के बावजूद भेदभावों के ख़िलाफ़ दलितों की लड़ाई अभी लंबी ही है. ये ‘शुभचिंतक’ दल दलितों के वोट तो पाना चाहते हैं लेकिन उन पर हो रहे अत्याचारों के लिए जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं.

शिवसेना-विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री को निशाना बनाने की माओवादी साज़िश को हास्यास्पद बताया

भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश के मुद्दे पर सवाल उठाने को असंवेदनशीलता का उदाहरण बताया. गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा कड़ी की जाएगी.

क्या 2019 में मोदी को अर्थव्यवस्था की बदहाली की कीमत चुकानी पड़ सकती है?

नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से अर्थव्यवस्था के और अधिक वित्तीयकरण के प्रयासों का परिणाम होगा कि आगे किसी भी वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को ज़्यादा चोट पहुंच सकती है.

पीएमओ ने ‘आप’ सरकार के खिलाफ उपराज्यपाल, नौकरशाहों और जांच एजेंसियों को लगा रखा है: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पीएमओ और केंद्र ने हमारी सरकार के कामकाज में रोड़े अटकाने के लिए उपराज्यपाल, आईएएस अधिकारियों और सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग एवं दिल्ली जैसी एजेंसियों को लगा रखा है.

अर्थव्यवस्था के चार टायरों में से तीन पंक्चर: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के चार टायरों में से तीन- निर्यात, निजी निवेश और निजी उपभोग- पंक्चर हो चुके हैं. यह स्थिति सरकार की ग़लत नीतियों के चलते पैदा हुई. भाजपा ने चिदंबरम के आरोपों को बेबुनियाद बताया.

मीडिया ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल न करे, निर्देश जारी करने पर विचार करे सरकार: बॉम्बे हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी उस परिपत्र का हवाला दिया था जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी गई थी.

देश में 1977 जैसी स्थिति, विपक्ष को एकजुट करने के लिए तैयार हूं: शरद पवार

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उपचुनाव में भाजपा का ख़राब प्रदर्शन कोई छोटी चीज़ नहीं है. भगवा दल के ख़िलाफ़ विपक्ष का एक मंच पर आना चाहिए.

मोदी द्वारा ज़ोर-शोर से शुरू की गईं विभिन्न योजनाओं की ज़मीनी हक़ीक़त क्या है?

मोदी सरकार द्वारा बीते चार सालों में बदलाव के बड़े दावों के साथ शुरू की गईं विभिन्न योजनाएं कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर पाने में नाकाम रही हैं.

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