राजस्थान में सीकर से भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती के मुताबिक फ़र्ज़ी गोरक्षकों की वजह से वाकई में गोसेवा में लगे लोग और संत समाज बदनाम हो रहा है. उन्होंने ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की है.
अकबर ख़ान अपने घर के अकेले कमाने वाले थे, अब उनके 60 साल के पिता पर बीमार बहू, बुज़ुर्ग पत्नी, 7 पोते-पोतियों और 5 गायों की ज़िम्मेदारी है. बेटे की मौत ने उन्हें इतना डरा दिया है कि वे किसी पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. हर मिलने आने वाले से बस यही पूछ रहे हैं कि कहीं कोई जगह है जहां इंसाफ की फरियाद की जा सके.
बीते हफ्ते अलवर में 'गोरक्षकों' द्वारा कथित पिटाई के बाद हुई अकबर खान की मौत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए आयोग ने सरकार को दो हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है.
रामगढ़ से भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा का कहना है कि जब पुलिस ने अकबर ख़ान की मौत पुलिस हिरासत में होना स्वीकार कर लिया है, तो आरोपी गोरक्षकों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.
अकबर का नाम ‘रकबर’ नहीं, अकबर ही है. जब वह अपना आधार बनवाने गए थे, तो बनाने वाला मेवाती उच्चारण नहीं समझ पाया और उनका नाम ‘रकबर’ लिख दिया. चचेरे भाई ने बताया कि उसे आधार में नाम सुधरवाने का कभी ख्याल ही नहीं आया. सात बच्चों का पेट पालने वाले आदमी ने सिस्टम का दिया नाम स्वीकार लिया.
केंद्र सरकार ने एक मंत्रिसमूह का गठन किया है और गृह सचिव की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का भी गठन किया है, जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
कृषि मंत्री का कहना है कि राजस्थान के किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति नहीं है. जब तक जांच पूरी न हो जाए तब तक उसे आत्महत्या कहना ग़लत है.
किसान आंदोलन के दबाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस पर अमल करने के लिए ज़रूरी 8 हज़ार करोड़ रुपये की रकम जुटाने में सरकार चकरघिन्नी हो रही है.
राजस्थान के हाड़ौती संभाग के किसानों ने पिछले साल लहसुन का अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार ज़्यादा लहसुन बोया, लेकिन कम भाव मिलने की वजह से अब तक तीन किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबकि दो की सदमे से मौत हो गई है.
स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशें लागू करने और कुछ अन्य मांगों को लेकर किसानों ने अपना आंदोलन वापस तो ले लिया है, लेकिन यह कभी भी राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार के गले की फांस बन सकता है.
हम भी भारत की 22वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी राजस्थान सरकार के विवादास्पद ‘दंड विधियां संशोधन विधेयक’ को वापस लेने और समाज में मीडिया की भूमिका पर चर्चा कर रही हैं.
विधेयक के मुताबिक किसी लोकसेवक के ख़िलाफ़ मुक़दमे के लिए सरकार की मंज़ूरी आवश्यक बताई गई थी. साथ ही मीडिया द्वारा सरकार के जांच आदेश से पहले किसी का नाम छापने पर सज़ा का प्रावधान था.
गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर अंकुश लगाने के न्यायिक आदेश पर अमल नहीं करने पर महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने तीनों सरकारों के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका दाख़िल की है.
आसाराम की ज़मानत याचिका पर सुनवाई नौ हफ़्तों तक स्थगित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, निचली अदालत में पीड़िताओं के बयान दर्ज़ होने बाद होगा इस पर विचार.
सूरत की रहने वाली दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर बलात्कार करने और ग़ैरक़ानूनी तरीके से उन्हें बंधक बनाने के आरोप लगाए हैं.