दिल्ली: राजौरी गार्डन रेस्टोरेंट में रसोई उपचार संयंत्र की सफाई के दौरान दो लोगों की मौत

इन सफाईकर्मियों को मास्क, सुरक्षा बेल्ट, दस्ताने और जूते मुहैया नहीं कराए गए थे. वहीं पुलिस ने इस मामले में 'मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम' के तहत मामला दर्ज करने से मना कर दिया है.

दिल्ली जल बोर्ड के सीवर की सफाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत

पीड़ित की पहचान बिहार में कटिहार के निवासी डूमन राय के रूप में हुई है. जहांगीरपुरी इलाके में हुई घटना के संबंध में सुपरवाइज़र गिरफ़्तार.

क्या सरकार मैला ढोने वालों की संख्या जानबूझकर कम बता रही है?

केंद्र के अधीन काम करने वाली संस्था नेशनल सफाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने बताया कि 163 ज़िलों में कराए गए सर्वे में 20,000 लोगों की पहचान मैला ढोने वालों के तौर पर हुई है. हालांकि संस्था ने ये आंकड़ा नहीं बताया कि कितने लोगों ने दावा किया था कि वे मैला ढोने के काम में लगे हुए हैं.

सीवर सफाई के दौरान मौत: ज़्यादातर मामलों में न तो एफआईआर दर्ज और न ही मुआवज़ा मिला

मैला ढोने की प्रथा खत्म करने के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था राष्ट्रीय ग्रामीण अभियान द्वारा 11 राज्यों में कराए गए सर्वेक्षण से ये जानकारी सामने आई है.

स्वच्छता अभियान: सरकार को नहीं पता सीवर सफाई के दौरान कितनों की गई जान, कितनों को मिला मुआवज़ा

विशेष रिपोर्ट: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास यह जानकारी भी नहीं है कि देश में कुल कितने सफाईकर्मी हैं. 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 से लेकर अब तक सीवर में दम घुटने की वजह हुई मौतों और मृतकों के परिवारों की पहचान कर उन्हें 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था.

सेप्टिक टैंक में दम घुटने से छत्तीसगढ़ में पांच और दिल्ली में एक की मौत

छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में हुए हादसे में मकान मालिक की पत्नी की भी मौत, वहीं दिल्ली में सीवर में गिरे 27 वर्षीय युवक की मौत. हाल ही में दिल्ली के मोती नगर स्थित डीएलएफ की कैपिटल ग्रीन्स सोसाइटी में भी सफाई के दौरान पांच लोगों की मौत हो गई थी.

मोदी सरकार ने चार साल में मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए एक रुपया भी जारी नहीं किया

विशेष रिपोर्ट: आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए कोई राशि जारी नहीं की गई है. इससे पहले आखिरी बार 2013-14 यानी यूपीए कार्यकाल में जारी 55 करोड़ रुपये में से 24 करोड़ रुपये अभी तक खर्च नहीं हुए हैं.

आंध्र प्रदेश: सीवर की सफ़ाई करते समय हुई सात मज़दूरों की मौत

पुलिस का कहना है कि प्रबंधन द्वारा पर्याप्त सुरक्षा इंतज़ामों की अनदेखी की गई. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बिना सुरक्षा किट के किसी सफ़ाईकर्मी को सीवर में नहीं उतारा जा सकता.