मंत्रियों-सरकारी कर्मचारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा संवैधानिक पीठ को सौंपा

कोई मंत्री या सरकारी कर्मचारी आपराधिक जांच के मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा कर सकता है या नहीं, इस पर होगा विचार.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: मोदी अकेले ऐसे वैश्विक नेता हैं जो ट्रोल्स को फॉलो करते हैं

स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी बता रही हैं कि एक लोकतंत्र में अगर सरकार नागरिकों पर हमला कर रही है तो हम किस लोकतंत्र में रह रहे हैं?

आॅनलाइन गुंडागर्दी: ‘ट्विटर पर मोदी के ख़िलाफ़ लिखेंगे तो रेप की हज़ारों धमकियां मिल जाएंगीं’

ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद से अमित सिंह की बातचीत.

प्रधानमंत्री जी! क्या मेरी जान को ख़तरा है: रवीश कुमार

पीएम को लिखे पत्र में रवीश ने कहा, ‘दुख की बात है कि अभद्र भाषा और धमकी देने वाले कुछ लोगों को आप ट्विटर पर फॉलो करते हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि धमकाने, गाली देने और घोर सांप्रदायिक बातें करने को आप फॉलो करने की योग्यता नहीं मानते होंगे.’

गठबंधन सरकारों ने पूर्ण बहुमत वाली सरकारों से बेहतर आर्थिक वृद्धि दी: पूर्व आरबीआई गवर्नर

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहाकि वर्ष 2008 का वित्त आर्थिक संकट अभी तक टला नहीं है.

‘नए भारत’ के नए वादे पर आर्थिक संकट का काला बादल

2019 के चुनावों से 18 महीने पहले, भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई दिखाई दे रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार 2022 तक पूरे किए जाने वाले नामुमकिन वादों की झड़ी लगाने का सिलसिला जारी है.

आॅनलाइन गुंडागर्दी: ‘ट्रोल्स के अच्छे दिन आ गए हैं’

ट्रोलिंग पर विशेष सीरीज़: वरिष्ठ पत्रकार और ‘आई एम अ ट्रोल: इनसाइड द सीक्रेट डिजिटल आर्मी ऑफ द बीजेपी’ किताब की लेखिका स्वाति चतुर्वेदी से कृष्णकांत की बातचीत.

अगर अपशब्दों के स्कूल में वे पास हो जाएंगे तो हमारा समाज फेल हो जाएगा

समाज की नैतिकताएं कमज़ोर हुई हैं. उन्हें कमज़ोर किया गया है. क्योंकि इन्हीं कमज़ोरियों ने जाने कितनों को मज़बूत किया हुआ है.

मृणाल पांडे के बचाव में ‘गधा विमर्श’ क्यों?

वैशाखनंदन शब्द की उत्पति पर दर्जनों पोस्ट लिखकर ‘गधा विमर्श’ का ऐसा माहौल बना दिया गया है गोया जो वैशाखनंदन न समझ पाए वो भी उन्हीं के उत्तराधिकारी हैं.

मर्यादा की मारी चिंता और अफ़सोस का कर्मकांड

मृणाल पांडे में बाकी जो भी दुर्गुण हों, वे असभ्य और अशालीन होने के लिए नहीं जानी जातीं. वे किसी रूप में वामपंथी भी नहीं हैं. उन पर बीजेपी विरोधी होने का भी वैसा इल्ज़ाम नहीं रहा है, जैसा दूसरों पर है.