झारखंड में ईसाई संगठन और चर्च राज्य सरकार के रवैये पर लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि कुछ घटनाओं को केंद्र में रखकर भाजपा तथा आरएसएस-विहिप भी मिशनरी संस्थाओं पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में एकजुटता दिखाने वाले विपक्ष के नेताओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वे 2019 के आम चुनावों तक साथ बने रहेंगे?
कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो संविधान लागू होने के बाद से आज तक किसी भी राज्य के राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत मिले अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन आदिवासियों के पक्ष में करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.
ग्राउंड रिपोर्ट: झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में इन दिनों पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ी है. ग्रामसभाओं में आदिवासी गोलबंद हो रहे हैं और पत्थलगड़ी के माध्यम से स्वशासन की मांग कर रहे हैं.
झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस द्वारा नक्सली बताकर मारे गए मोतीलाल बास्के की पत्नी पार्वती मुर्मू इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.
झारखंड में शासन के हज़ार दिन पूरे होने पर विज्ञापनों के ज़रिये रघुबर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है.