वीडियो: एक आज़ाद औरत का चेहरा बीते कल से आज तक कितना बदल पाया है, इसी मुद्दे पर अमृता प्रीतम के हवाले से वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन के साथ दामिनी यादव की एक ख़ास बातचीत.
2002 की बात को कमज़ोर करने के लिए 1984 की बात का ज़िक्र होता है, अब 1984 की बात चली है तो अदालत ने 2013 तक के मुज़फ़्फ़रनगर के दंगों तक का ज़िक्र कर दिया है.
पुण्यतिथि विशेष: यह भी एक क़िस्म की विडंबना ही है कि जिस साहिर के कलाम गुनगुनाकर अनगिनत इश्क़ परवान चढ़े, उसकी अपनी ज़िंदगी में कोई इश्क़ मुकम्मल न हुआ.