प्रवासी कामगारों के लिए सामुदायिक रसोई, खाद्यान्न और परिवहन की व्यवस्था करें सरकारें: अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाद्यान्न देते हुए प्रशासन उन प्रवासी कामगारों को पहचान पत्र दिखाने पर ज़ोर न दे, जिनके पास फ़िलहाल दस्तावेज़ नहीं हैं. पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों को यह निर्देश भी दिया कि वे कोविड-19 के कारण फंसे प्रवासी कामगारों में से जो घर जाना चाहते हैं, उनके लिए परिवहन की समुचित व्यवस्था करें.

बैंकों ने प्रशासन को लिखा, लॉकडाउन के चलते रेहड़ी विक्रेताओं को दिए लोन एनपीए में बदल रहे हैं

कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी-पटरी वाले विक्रेताओं को उनकी आजीविका फिर शुरू करने के लिए सस्ते कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री स्‍वनिधि की शुरुआत की गई थी. अब कुछ बैंकों ने स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर लोन वसूलने में मदद करने को कहा है.

रोज़गार प्रोत्साहन के लिए नई योजना की घोषणा, नए लोगों की भर्ती पर दी जाएगी पीएफ सहायता

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक नए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है. कोविड-19 के टीके पर शोध के लिए 900 करोड़ रुपये और 65,000 करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी का ऐलान. आवास के लिए 18,000 करोड़ रुपये का प्रावधान.

आत्मनिर्भर भारत: प्रवासी मज़दूरों के लिए आवंटित खाद्यान्न में से सिर्फ 33 फीसदी का वितरण हुआ

केंद्र द्वारा ‘सफल’ घोषित की गई इस योजना के तहत आठ लाख टन खाद्यान्न वितरण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इसमें से सिर्फ 2.65 लाख टन राशन का वितरण हुआ है.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सिर्फ 28 फ़ीसदी प्रवासी मज़दूरों को ही राशन मिला

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी जून महीने में कम से कम 15.58 करोड़ लाभार्थियों को राशन नहीं मिला है. कम वितरण के कारण अब केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मज़दूरों को राशन देने की समयसीमा बढ़ाकर 31 अगस्त 2020 तक कर दी है.

क्या सरकार बच्चों और महिलाओं को भूखे-कमज़ोर रखकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है?

लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.

क्या मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत बनाने की बजाय क़र्ज़ निर्भर भारत बनाना चाहती है?

कोरोना महामारी के संकट से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था क़र्ज़ के दलदल में फंस चुकी थी. अब इस संकट के बाद नए क़र्ज़ बांटने से इसका बुरा हाल होना तय है.

आर्थिक सुधार में बैंकों को शामिल करने में विफल रहा राहत पैकेज: आरबीआई बोर्ड सदस्य

भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने कहा कि आरबीआई द्वारा कर्ज चुकाने से तीन महीने के लिए दी गई मोहलत पर्याप्त नहीं है.

लोगों को कैश देने के बारे में सोचा था लेकिन कितनों को और कितना दें: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनका संदेश है कि सरकार उद्योग के साथ है. सरकार से जितना हो सकेगा वे उनकी मदद के लिए तैयार हैं.

मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज सवालों के घेरे में क्यों है?

केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है. यानी कि केंद्र इतनी ही राशि खर्च करेगा. सरकार ने अधिकतर राहत कर्ज या कर्ज के ब्याज में कटौती के रूप में दी है.

मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से सरकारी खजाने पर 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी कम का भार पड़ेगा

केंद्र सरकार का आत्मनिर्भर भारत पैकेज जीडीपी का करीब 10 फीसदी है लेकिन इससे सरकारी खजाने पर पड़ने वाला भार जीडीपी का करीब एक फीसदी ही है. सरकार ने अधिकतर राहत कर्ज या कर्ज के ब्याज में कटौती के रूप में दी है.