प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आधिकारिक डेटा बताता है कि 25 मार्च से दो जून की लॉकडाउन की अवधि के दौरान इससे पहले के 12 हफ्तों की तुलना में योजना के तहत सर्जिकल प्रकियाओं और अन्य मेडिकल देखरेख के मामलों में बड़ी गिरावट देखी गई.
कोविड-19 संक्रमण के बीच गरीबी रेखा से नीचे वाले गंभीर रोगों के मरीज़ों के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना बुरी तरह प्रभावित है. आंकड़े बताते हैं कि बीते तीन महीनों में देश भर के सरकारी व निजी अस्पतालों में योजना के तहत भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या में 20 प्रतिशत की कमी आई है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के तहत लाखों फ़र्ज़ी गोल्डन कार्ड बनाए गए. अधिकतर मामले गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब के अस्पतालों में हुए. अकेले गुजरात सरकार ने 15 हज़ार फ़र्ज़ी कार्ड रद्द किए, पर अब भी पांच हज़ार कार्ड फ़र्ज़ी होने की आशंका है.
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने आयुष्मान भारत योजना में इस फ़र्ज़ीवाड़े का खुलासा किया है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में योजना का दुरुपयोग करने के मामले सामने आए हैं.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह एक ऐसी विचित्र योजना है जो लोगों के उपचार के लिए तभी भुगतान करती है जब आप उनके कुछ निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं, जबकि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सभी को मुफ्त इलाज मिलता है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019-2020 के बजट में गोशालाओं के रखरखाव के लिए 247.60 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. शराब की बिक्री पर लगे विशेष शुल्क से मिले करीब 165 करोड़ रुपये निराश्रित एवं बेसहारा गोवंशीय पशुओं के भरण-पोषण के लिए इस्तेमाल होंगे.
प्रधानमंत्री जी! इतनी लचर तैयारी से तो भारत ‘आयुष्मान’ होने से रहा.
प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि हम कैमरा देखते ही बयान देने लग जाते हैं. मीडिया जो हिस्सा उपयोगी समझता है, उसका इस्तेमाल करता है. यह उसकी ग़लती नहीं है. हमें ख़ुद को रोकना होगा.