एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्रीय सूचना आयोग की वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद बताया कि आरटीआई आवेदनों को इस क़ानून की धाराओं आठ, नौ, 11 और 24 के तहत प्राप्त छूट से ही ख़ारिज किया जाना मान्य है, लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी विभागों ने आवेदनों को ख़ारिज करने के लिए ‘अन्य’ श्रेणी का इस्तेमाल किया.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक 36 मामलों में आरटीआई कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न किया गया. 41 अन्य को या तो प्रताड़ित किया गया या नतीजे भुगतने की धमकी दी गई. वहीं, पुख़्ता सबूत होने के बावजूद एक भी मामले में दोषियों को सज़ा नहीं हुई.
सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि आयोग मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सहमत है और सूचना देने से इनकार के लिए आरटीआई कानून की धारा 24 का सहारा नहीं लिया जा सकता है.
हाल ही में लाए गए नए नियमों के तहत केंद्र सरकार को केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग के ऊपर नियंत्रण देना यह सुनिश्चित करेगा कि आरटीआई की अपील पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक काम हो.
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीआईसी ने अनेक आदेशों में स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जानकारी देने से छूट नहीं मिली है लेकिन सीबीआई में आरटीआई अर्जियों को देखने वाले अधिकारियों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.
सीआईसी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान डीओपीटी को कड़ी फटकार लगाते हुए ये टिप्पणी की. आयोग ने कहा, ऐसा करना आरटीआई कानून की भावना का गला घोटने जैसा है.
केरल सरकार ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में राज्य के हितों का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया था. केरल हाईकोर्ट ने इस आदेश को असंतोषजनक और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करार देते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, एक मार्च 2018 से 24 जनवरी 2019 के बीच कुल 1,407.09 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए, जबकि एक मार्च से 10 मई 2019 तक कुल 4,444.32 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गए.
सूचना के अधिकार कानून के तहत एसबीआई से 2017-2019 के बीच सरकार या आरबीआई द्वारा उसे भेजे गए सभी पत्रों, निर्देशों, अधिसूचनाओं या ईमेल की प्रति मांगी गई थी.
गुजरात के राजकोट ज़िले का मामला. साल 2018 में दलित आरटीआई कार्यकर्ता नानजीभाई सोंडर्वा की हत्या कर दी गई थी. हत्या का एक आरोपी अदालत के रोक लगाने के बाद भी कथित तौर पर राजकोट ज़िले में नज़र आया था. आरटीआई कार्यकर्ता के बेटे ने अदालत में इसकी शिकायत की थी.
महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय राज्यमंत्री के कार्यालय के एक अधिकारी दिलीप कांबले ने विकलांग व्यक्तियों के आयुक्त से दो या इससे अधिक आरटीआई याचिका दायर करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार आरटीआई कानून को ही नष्ट कर रही है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर हमले के कई तरीके हैं जिनमें लोकपाल भी है, लेकिन इसकी अनुमति ही नहीं दी जा रही.
उत्तर प्रदेश की पूर्व सपा सरकार ने 2012 में एक अधिसूचना जारी कर लोकायुक्त को सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया था.
केंद्र सरकार की यह प्रतिक्रिया कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी के उस बयान के बाद आई जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार आरटीआई अधिनियम को बदलने की कोशिश कर रही है.