राष्ट्रीय राजधानी में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के छह दिन बाद 19 सितंबर 2008 को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में सात सदस्यीय एक टीम ने दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर इलाके में स्थिति बटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के कथित आतंकियों की तलाश में छापा मारा था, जब उन पर फायरिंग शुरू हो गई थी. इस दौरान इंस्पेक्टर शर्मा शहीद हो गए थे.
जयपुर में 13 मई 2008 को हुए सिलसिलेवार विस्फोट में कुल 80 लोगों की मौत हुई थी तथा लगभग 170 घायल हुए थे. राजस्थान की एक विशेष अदालत ने मामले में चार आरोपियों मोहम्मद सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सलमान और सैफुर्रहमान को दोषी ठहराया जबकि एक आरोपी शाहबाज हुसैन को दोषमुक्त करार दिया था.
13 मई 2008 को जयपुर में हुए आठ सिलसिलेवार बम धमाकों में 70 लोगों की मौत हुई थी और 185 घायल हुए थे. दोषियों की सज़ा पर गुरुवार को जिरह के बाद फ़ैसला लिया जाएगा.
भारत सरकार यूं तो कहती है कि आतंकवादी कहीं छिपा हो वह उसे निकाल लाएगी, लेकिन इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री का कहना था कि क्यों सरकार आगे की अदालत में इस फैसले के ख़िलाफ़ अपील करे? जिसे करना हो करे, सरकार क्यों करे? इससे क्या फायदा होगा?