हमारी राष्ट्रीय राजनीति और भाजपा कांग्रेस विरोधी आंदोलन यानी प्रतिरोध का ही नतीजा हैं, लेकिन इसके बारे में कोई बात नहीं करता. ख़ुद भाजपा भी नहीं. वे चाहते हैं कि हम इमरजेंसी के बारे में जानें लेकिन उतना, जितने से उन्हें नुकसान न पहुंचे.
जेएनयू प्रशासन के अनिवार्य उपस्थिति संबंधी फ़ैसले को शिक्षकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट ने 7 दिन के अंदर विश्वविद्यालय से जवाब देने को कहा.
बीते शनिवार चुनाव परिणाम आने के बाद से ही छात्र अध्यक्ष पद के विजेता के नामांकन में गड़बड़ी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
कासगंज हिंसा के बाद क़स्बे के दौरे से लौटी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.
गणतंत्र दिवस पर कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से ‘नक्षत्र कम्प्यूटर’ नाम के वॉट्सएप ग्रुप में भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही थीं.
कासगंज में जिन अल्पसंख्यकों ने तिरंगा फहराने के लिए सड़क पर कुर्सियां बिछा रखी थीं, वे अचानक वंदे मातरम् का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन क्यों करने लगेंगे?
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर मृतक चंदन गुप्ता की जगह कोई मोहम्मद इस्माईल होता तो मीडिया में अलग बहस होती.
सच तो ये है कि आप हिंदुओं के पक्ष में भी नहीं बोल रहे हैं. आप सिर्फ़ एक राजनीतिक दल के अघोषित प्रवक्ता बने हुए हैं. हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करके आप उनके राजनीतिक हित साध रहे हैं.
हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा. परिवार ने की शहीद का दर्जा देने की मांग. हिंसा में घायल एक अन्य व्यक्ति ने अपनी आंख गंवाई.
हिंसा के तीसरे तीन भी तनाव बरक़रार. धारा 144 लागू. इंटरनेट रविवार रात तक के लिए प्रतिबंधित. हिंसा के तीसरे दिन उपद्रवियों ने गुमटी जलाई.
26 जनवरी को विहिप और एबीवीपी कार्यकर्ताओं की तिरंगा यात्रा के दौरान नारेबाज़ी के बाद हुआ उपद्रव. शनिवार को फायरिंग में मारे गए युवक के अंतिम संस्कार के बाद हिंसा और आगज़नी जारी.
पुलिस के मुताबिक जिला प्रशासन के आदेश का उल्लंघन करते हुए विश्व सनातन संघ के कार्यकर्ता मिशनरी संचालित कॉलेज में ग़ैर क़ानूनी तरीके से भारत माता की आरती करने जा रहे थे.
कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा चलाए जा रहे संस्थान लगातार एबीवीपी के निशाने पर हैं.
जेएनयू प्रशासन द्वारा उपस्थिति अनिवार्य करने के फैसले का विरोध एबीवीपी, एनएसयूआई, बापसा समेत जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन कर रहे हैं.
सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को मामले की स्थिति रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि जांच के सिलसिले में ज़ब्त जेएनयू के नौ छात्रों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आनी बाकी है.