कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ एक आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ़ कर दिया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
पिछले कार्यकाल के दौरान के लंबित पड़े मामलों में दिसंबर 2020 से अब तक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को लगा यह चौथा झटका है. हालिया मामला 2008-2012 की अवधि में अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने के कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत ने 2016 में इस मामले को ख़ारिज करने में ग़लती की थी.
बीते पंद्रह दिनों में यह दूसरी बार है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की याचिका ख़ारिज की है. इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को नहीं माना था.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से जुड़ा यह मामला साल 2006 का है, जब वह उप-मुख्यमंत्री थे. उन पर कथित तौर पर सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि का एक हिस्सा निजी व्यक्तियों के लिए जारी करने का आरोप है. हाईकोर्ट ने मामले में पिछले पांच साल में जांच पूरी कर पाने में विफल होने पर लोकायुक्त पुलिस को लताड़ लगाई है.
कर्नाटक सरकार ने राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली एक उप-समिति के सुझावों पर 31 अगस्त, 2020 को सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज 61 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया था.
पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, अभियोजन निदेशक और सरकारी मुकदमा और क़ानून विभाग ने सत्ताधारी भाजपा के सांसदों और विधायकों पर दर्ज मामलों को वापस न लेने की सिफ़ारिश की थी. वापस लिए गए मामलों में कर्नाटक के क़ानून मंत्री और पर्यटन मंत्री के ख़िलाफ़ दर्ज केस भी शामिल हैं.