राष्ट्रीय किसान मंच ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार किसान विरोधी है, किसानों के मुद्दे उठाने से रोक रही है. पंजाब में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं पूर्व मुख्यमंत्री बादल के गृह ज़िले में.
राजस्व मंत्री ने विधानसभा में कहा, आत्महत्या करने वाले कुल किसानों में से 12,805 किसानों ने क़र्ज़, बंजर ज़मीन और ऋण के भुगतान को लेकर दबाव के चलते यह क़दम उठाया.
राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में जनवरी से अब तक 907 किसानों ने क़र्ज़ और फ़सल ख़राब होने के चलते आत्महत्या कर ली.
पिछले नौ साल में बैंकों ने 2 लाख 28 हज़ार रुपये का लोन माफ़ कर दिया है. क्या इससे अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क पड़ा, सिर्फ़ किसानों के समय फ़र्क पड़ता है.
देश भर के किसान एकजुट होकर लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर पूरे देश में किसान आत्महत्याएं भी जारी हैं. महाराष्ट्र में क़र्ज़ माफ़ी के बाद 5 महीने में 1,020 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
किसान संसद ने कहा, देश भर के 184 किसान संगठन बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के एक भी बोरा अनाज बिकने नहीं देंगे.
किसान मुक्ति संसद में उठा सवाल, मोदी जी! आपने किसानों के साथ वादाख़िलाफ़ी क्यों की? हम सब उंगली उठाकर सवाल पूछेंगे, हम देखना चाहते हैं कि कितने हाथ काटोगे?'
देश भर के 184 किसान संगठनों की किसान मुक्ति संसद में कृषि क़र्ज़ से पूर्ण मुक्ति और कृषि उत्पाद के लाभकारी मूल्य को लेकर दो विधेयकों के मसौदे पारित.
वीडियो: दिल्ली के जंतर मंतर पर 184 किसान संगठनों ने मिलकर लगाई किसान मुक्ति संसद. कहा- सरकार को हमारी बात सुननी पड़ेगी.
परिवार ने दावा किया कि बेमौसम हुई बारिश के कारण ख़राब हुई फसल के नुकसान की वजह से किसान ने अपनी जान दे दी.
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ज़िले में क़र्ज़ से परेशान 22 वर्षीय किसान ने की ख़ुदकुशी. तमिलनाडु के किसानों ने कहा, शुरू करेंगे तीसरे दौर का प्रदर्शन.
महाराष्ट्र में गन्ना आंदोलन हिंसक हुआ, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में तीन किसानों ने की खुदकुशी, नीमच में उपज का दाम कम मिला तो किसान ने उपज को आग लगाई.
मध्य प्रदेश में दो, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में एक-एक किसानों ने की आत्महत्या, महाराष्ट्र में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक 2,414 किसानों ने आत्महत्या की.
साक्षात्कार: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से नरेंद्र मोदी सरकार, जीएसटी, रॉबर्ट वाड्रा, कार्ति चिदंबरम, विपक्ष, गुजरात चुनाव समेत विविध विषयों पर विस्तृत बातचीत.
सरकार न सिर्फ़ शाह का गवाह बनकर कूद पड़ी, बल्कि न्यायिक मदद का पूर्वानुमान लगाते हुए स्टोरी छपने के पहले ही इसके लिए एडिशनल साॅलिसिटर जनरल को इजाज़त भी दे दी.