विशेष रिपोर्ट: केंद्र द्वारा लाए गए डिजिटल मीडिया के नए नियमों को लेकर हो रहे विरोध में एक मुद्दा इस बारे में हितधारकों के साथ समुचित चर्चा न होने का है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन्हें बनाने से पहले हुए विचार-विमर्श के नाम पर दो सेमिनार और एक मीटिंग का हवाला दिया है, हालांकि इसमें से किसी के भी मिनट्स तैयार नहीं किए गए हैं.
नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्रों का कहना है कि पहला सेमेस्टर ऑनलाइन कर लिया है पर दूसरे सेमेस्टर से कैंपस में बुलाया जाना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन पढ़ने की कुछ सीमाएं हैं. प्रशासन द्वारा मांगों पर ध्यान न देने की बात कहते हुए छात्रों ने सोमवार से कैंपस में धरना शुरू कर दिया है.
अमेरिका स्थित डिजिटल मीडिया कंपनी हफ़पोस्ट के भारतीय डिजिटल प्रकाशन हफ़पोस्ट इंडिया ने छह साल के बाद मंगलवार को भारत में अपना काम बंद कर दिया. इसके साथ ही उनमें कार्यरत 12 पत्रकारों की नौकरी भी चली गई.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने विभिन्न न्यूज़ पोर्टल, वेबसाइट और न्यूज़ एजेंसियों को जारी किए गए नोटिस में कहा कि उन्हें एक महीने के भीतर निदेशकों व शेयरधारकों का नाम तथा पता के साथ कंपनी और उसकी शेयरधारिता की जानकारी देनी होगी.
लेखकों और निर्देशकों के एक तबके ने कहा है कि ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के निर्णय से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंटेंट क्रियेटरों को नुकसान हो सकता है. इससे निर्माताओं और यहां तक कि दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है.
ऑनलाइन समाचार पोर्टलों और कंटेंट प्रोवाइडरों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने के लिए केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया है. दिलचस्प यह है कि ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध समाचार व समसामयिक विषयों से संबंधित सामग्रियों को ‘प्रेस’ उपश्रेणी के तहत न रखकर ‘फिल्म’ उपश्रेणी के तहत रखा गया है.
डिजिटली प्रसारित होने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आईटी मंत्रालय के तहत आते हैं. अब इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाले कंटेंट को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है.
देश के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा था कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास से भारत विरोधी व्यवहार को लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशियाई डिप्टी ब्यूरो चीफ एरिक बेलमैन को तत्काल प्रभाव से वापस भेजने के एक अनुरोध को देखने के लिए कहा है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस ख़बर का खंडन किया है.
अपने अभूतपूर्व आदेशों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केरल के दोनों चैनलों मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समुदाय का पक्ष लेने और दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना को कारण बताया था.
मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव शामिल नहीं की गईं फिल्मों में आनंद पटवर्द्धन की फिल्म ‘विवेक/रिज़न’, पत्रकार गौरी लंकेश पर आधारित फिल्म ‘आवर गौरी’, जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की कहानी बयां करती फिल्म ‘अम्मी’ और यौन उत्पीड़न के अनुभवों को लेकर गायिका सोना मोहापात्रा पर आधारित वृत्तचित्र ‘शट अप सोना’ शामिल हैं.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा 11 दिसंबर को जारी पहले परामर्श की निंदा करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने सरकार से इसे वापस लेने का अनुरोध किया था. दूसरा परामर्श जारी होने बाद तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सूचना पहुंचाने वाले को ही सजा देना है.
एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि देश में हो रही घटनाओं की ज़िम्मेदार कवरेज के लिए मीडिया की प्रतिबद्धता पर इस तरह के परामर्श से सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने सभी निजी टीवी चैनलों से कहा था कि वे ऐसी सामग्री दिखाने से परहेज करें जो ‘राष्ट्र विरोधी रवैये’ को बढ़ावा दे सकती है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश में कहा गया है कि सभी टीवी चैनलों को सलाह दी जाती है कि वे ऐसी सामग्री के प्रति खासतौर पर सावधानी बरतें, जिनसे हिंसा को प्रोत्साहन मिलता हो या उससे हिंसा भड़कती हो या कानून-व्यवस्था बनाए रखने में समस्या पैदा होने की आशंका हो या फिर ऐसी घटनाएं, जो राष्ट्रविरोधी व्यवहार को बढ़ावा दे रही हों.
दिल्ली में एक कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'किसी से संपर्क न हो, किसी से बात न कर सकते हों और आपके पास कम्यूनिकेशन का कोई साधन न हो, ये सबसे बड़ी सजा हो सकती है.'
सामूहिक रूप से 2.6 करोड़ मासिक पाठक वर्ग वाले तीनों बड़े अख़बार समूहों का कहना है कि मोदी के पिछले महीने लगातार दूसरी बार भारी बहुमत से चुनकर सत्ता में आने से पहले ही उनके करोड़ों रुपये के विज्ञापनों को बंद कर दिया गया.