महामारियों ने हमेशा से ही इंसान को अतीत से नाता तोड़कर एक नए भविष्य की कल्पना करने के लिए मजबूर किया है. यह महामारी भी नए और पुराने के बीच एक दरवाज़ा है और यह हम पर है कि हम पूर्वाग्रह, नफ़रत, लोभ आदि के कंकाल ढोते हुए आगे बढ़ें या बिना ऐसे बोझों के एक नई और बेहतर दुनिया की कल्पना के साथ आगे निकलें.
संगठन के मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.
कई राज्य सरकारों और विशेषज्ञों द्वारा लॉकडाउन की अवधि को 14 अप्रैल से आगे बढ़ाए जाने के सुझाव के बाद कोरोना वायरस पर मंत्रियों के समूह ने 15 मई तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को बंद रखने और लोगों की सहभागिता वाली सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा गया है कि वृद्ध क़ैदी और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2006 से 2016 के बीच 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते कई लोगों की ज़िंदगी अधर में है. इसके चलते हज़ारों लोग बेरोज़गार हुए है और अपने गांव-क़स्बों की ओर लौटने को मजबूर हैं.
एक जनहित याचिका में शहरों से पलायन न करने वाले कामगारों को पारिश्रमिक दिए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या जरूरत है.
मज़दूर किसान शक्ति संगठन द्वारा उच्चतम न्यायालय में दाख़िल याचिका में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को दिए गए उस निर्देश की आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान जहां भी संभव हो, मनरेगा मज़दूरों को काम की अनुमति होगी.
चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव के दौरान उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और निर्वाचन कर्मचारियों के एकत्र होने की संभावना के कारण लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन की आशंका को देखते हुए निर्वाचन प्रक्रिया को स्थगित रखना उपयुक्त होगा.
जम्मू कश्मीर में एक अप्रैल को डोमिसाइल के साथ ही भर्ती संबंधी नियम जारी होने के बाद नेशलनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई संगठनों ने विरोध किया था. इसे धोखा बताते हुए वापस लेने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से रोज़गार गंवाने वाले लाखों कामगारों के लिए जीने के अधिकार लागू कराने की आवश्यकता है. सरकार के 25 मार्च से 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये कामगार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
मनरेगा के तहत काम मांगने वालों बढ़ती संख्या ये दर्शाता है कि ग्राम पंचायत ज़्यादा से ज़्यादा बेरोज़गारों को काम दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिकाओं में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों, नर्सों और सहयोगी कर्मचारियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कोरोना राहत पैकेज की घोषणा करते हुए मनरेगा मज़दूरी में वृद्धि की बात कही. हालांकि यह एक रूटीन वार्षिक कवायद थी, जिसे पहले ही ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 850 तीर्थयात्रियों में से अधिकांश को भारत ले आया गया है और बाकी 250 के आसपास तीर्थयात्रियों को हालात में सुधार होने के बाद ही वापस लाया जा सकता है. ईरान में फंसे ये भारतीय पिछले साल दिसंबर में ईरान गए थे.
केरल हाईकोर्ट ने कथित रूप से देशव्यापी लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के ख़िलाफ़ पुलिस ज़्यादती की कथित घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया है.