शुरुआत में केंद्र सरकार ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीनों के लिए 150 रुपये पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाज़ार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने क्रमश: राज्य सरकारों के लिए 400 और 600 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों के लिए 600 और 1200 रुपये प्रति खुराक की कीमत तय कर दी.
एक मई से देश के निजी अस्पतालों में कोविशील्ड वैक्सीन 600 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर मिलेगी, जबकि वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है, जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा था कि 150 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर भी उनकी कंपनी मुनाफा कमा रही है.
केंद्र सरकार के 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के टीकाकरण के निर्णय के बाद सीरम इंस्टिट्यूट ने कोविशील्ड टीके की कीमत की घोषणा की, जिसे वह अपने पुणे संयंत्र में तैयार कर रही है. कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह एक घटिया क़दम है तथा पूरे देश में टीके की एक कीमत तय होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इससे पहले पिछले साल अगस्त माह में भी वह कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे. उन्होंने 12 मार्च को कोविड-19 टीके की पहली खुराक ली थी.
रूस में निर्मित ‘स्पुतनिक वी’ भारत में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने वाली तीसरी वैक्सीन है. इससे पहले जनवरी में पुणे में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ तथा भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी दी थी.
देश में बेहद तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों के मद्देनज़र अब तक वैक्सीन उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया जाना चाहिए था. ज़ाहिर है कि इस दिशा में केंद्र सरकार की प्लानिंग पूरी तरह फेल रही है.
एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा किए गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने वैक्सीन विशेषज्ञ समूह, सुरक्षा सुनिश्चित करने और वैक्सीन को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया और कोविन ऐप के उपयोगकर्ताओं का डेटा की सुरक्षा के मुद्दे पर जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया.
बीते चार दिनों में लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के 40 डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. इनमें से अधिकतर को कोरोना वैक्सीन लगी थी. एम्स और सर गंगाराम अस्पताल के पॉज़िटिव पाए गए चिकित्सकों में से भी कई कोरोना वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित हुए हैं.
ब्राज़ील सरकार ने कोवैक्सीन के दो करोड़ डोज़ प्राप्त करने के लिए वहां भारत बायोटेक का प्रतिनिधित्व करने वाली कंपनी के साथ क़रार किया था. वहां वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए देश की स्वास्थ्य नियामक एन्विसा की मंज़ूरी मिलना अनिवार्य है, जिसने कोवैक्सीन को स्वीकृति देने से इनकार कर दिया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक लेने के समय अंतराल को संशोधित कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे 4-6 सप्ताह के बीच देने की बजाय 4-8 सप्ताह के बीच देने के लिए कहा. दो खुराक के बीच संशोधित समय अंतराल का यह फैसला केवल कोविशिल्ड टीके पर लागू होगा और कोवैक्सीन टीके पर नहीं.
पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का मामला. 23 वर्षीय छात्र की मौत एक मार्च को हुई. उन्हें फरवरी के पहले हफ्ते में कोवैक्सीन टीका लगा था, इसके बाद 25 फरवरी को वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे.
दक्षिण अफ्रीका ने एक छोटे क्लीनिकल ट्रायल के बाद अपना टीकाकरण अभियान रोक दिया, जिसमें पता चला कि यह देश में फैले नए कोरोना वायरस वैरिएंट के ख़िलाफ़ न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करता है.
16 जनवरी को टीकाकरण शुरू होने के बाद से अब तक विभिन्न राज्यों में 13 लोगों की जान गई है, इनमें से अधिकतर मौतें टीका लेने के बाद कुछ घंटों से लेकर पांच दिनों के भीतर हुई हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से किसी भी मौत के लिए टीकाकरण के कारण होने को ख़ारिज किया है.
मामला नौपाड़ा ज़िले का है. सोमवार को एक 27 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड को जी मिचलाने की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां अगले दिन उन्होंने दम तोड़ दिया. उन्होंने बीमार होने के तीन दिन पहले कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत टीका लगवाया था.
आंध्र प्रदेश के गुंटुर ज़िले के एक सरकारी अस्पताल में हुई मौत. घटना के बाद अन्य आशा कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन किया और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की मांग की. गुंटुर ज़िलाधिकारी ने कहा कि मौत की वास्तविक वजह की जानकारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिल पाएगी.