मुख्यमंत्री के बतौर नरेंद्र मोदी के 13 साल के कार्यकाल के दौरान हुईं अनसुलझी हत्याओं और मुठभेड़ों में हरेन पांड्या की हत्या कई मायनों में सबसे बड़ी पहेली है. इस मामले की दोबारा जांच किए जाने में जितनी देरी की जाएगी, इसके सुरागों के पूरी तरह से नष्ट हो जाने की संभावना बढ़ती जाएगी.
जज बीएच लोया की मौत से जुड़ी याचिका वकील सतीश उके ने दायर की है. अपनी याचिका में उके ने आरोप लगाया है कि जज लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स का इस्तेमाल करके जहर दिया गया था.
सोहराबुद्दीन शेख़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में बीते साल 21 दिसंबर को सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था. आरोपियों में अधिकतर गुजरात और राजस्थान के जूनियर स्तर के पुलिस अधिकारी शामिल थे.
साल 2007 में पत्रकार बीजी वर्गीज और गीतकार जावेद अख्तर ने याचिका दायर कर गुजरात में 22 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग की थी. उस समय नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे.
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि उसने गुजरात सरकार से मुकदमा चलाने के लिए इजाजत मांगी थी लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
राज्य सरकार ने 2004 में इशरत जहां मुठभेड़ मामले में ज़मानत पर बाहर आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल को प्रमोशन देते हुए उन्हें पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के पद पर नियुक्त किया है.
सोहराबुद्दीन हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इस मामले का मुख्य आधार चश्मदीद गवाह थे, जो अपने बयान से मुकर गए. नवंबर 2017 से शुरू हुई सुनवाई में 210 गवाहों की जांच की गई, जिनमें से 92 अपने बयान से पलट गए.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में एक वकील सतीश ऊके द्वारा सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत की जांच के संबंध में याचिका दर्ज करवाई गई है.
क्या अमित शाह कभी सोचते होंगे कि हरेन पांड्या की हत्या और सोहराबुद्दीन-कौसर बी-तुलसीराम एनकाउंटर की ख़बर ज़िंदा कैसे हो जाती है? अमित शाह जब प्रेस के सामने आते होंगे तो इस ख़बर से कौन भागता होगा? अमित शाह या प्रेस?
नागपुर के एक वकील सतीश ऊके ने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर कहा है कि जज लोया को ज़हर दिया गया था और इससे संबंधित सभी दस्तावेज मिटा दिए गए हैं.
तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस के मुख्य जांच अधिकारी संदीप तमगड़े ने सीबीआई कोर्ट को बताया कि अमित शाह और डीजी वंजारा, दिनेश एमएन और राजकुमार पांडियन जैसे आईपीएस अधिकारी इस मामले के मुख्य साजिशकर्ता थे.
सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व मुख्य जांच अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने बताया कि अमित शाह को इस मामले में 70 लाख का भुगतान किया गया था. पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी (उदयपुर) दिनेश एमएन, पूर्व एसपी (अहमदाबाद) राजकुमार पांडियन और पूर्व डीसीपी (अहमदाबाद) अभय चूड़ास्मा को भी फायदा हुआ था.
सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रुबाबुद्दीन ने अदालत को बताया कि तुलसीराम प्रजापति ने उसे बताया था कि उसके भाई को फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारा गया है. सोहराबुद्दीन के साथी प्रजापति की भी 2006 में एक कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मौत हुई थी.
द वायर एक्सक्लूसिव: एक मुख्य गवाह के बतौर आज़म खान गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता हरेन पांड्या की हत्या से लेकर सोहराबुद्दीन शेख़ के एनकाउंटर से जुड़े कई राज़ जानते हैं. यही वजह है कि उन्हें अपनी जान पर ख़तरा नज़र आ रहा है.
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान एक गवाह ने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा के कहने पर सोहराबुद्दीन ने हरेन पंड्या की हत्या की थी.