जज लोया की मौत की जांच के लिए आयोग बनाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कार्यवाही कर रहे जज लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में 1 दिसंबर, 2014 को मौत हो गई थी.

मीडिया बोल, एपिसोड 25: जज लोया की मौत और मीडिया रिपोर्टिंग के विरोधाभास

मीडिया बोल की 25वीं कड़ी में उर्मिलेश, द कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और आरटीआई कार्यकर्ता अं​जलि भारद्वाज के साथ जज लोया की मौत के मामले पर चर्चा कर रहे हैं.

‘सुप्रीम कोर्ट एक संपादकीय पर स्वतः संज्ञान ले सकता है, तो जज की मौत पर क्यों नहीं’

सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत और न्यायपालिका पर उनके परिवार द्वारा उठाए गए सवालों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी का नज़रिया.

‘यदि न्यायपालिका को कोई नहीं बचा सकता तो देश को कौन बचाएगा?’

‘जज लोया के मामले में आरोप न्यायपालिका के लिए बहुत ही ख़तरनाक हैं. क़ानून और व्यवस्था के रखवाले ही अगर ये करते हैं तो हम कहां जाएंगे?’

जज बृजगोपाल लोया की ‘संदिग्ध मौत’ की जांच बेहद ज़रूरी: जस्टिस एपी शाह

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस का मानना है कि जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत के बारे जांच ज़रूरी है क्योंकि ऐसे मामले में लगे आरोप न्यायपालिका की साख कलंकित कर सकते हैं.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला: ‘सीबीआई कॉन्ट्रैक्ट वर्कर है, जो सरकार के हिसाब से काम कर रही है’

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मौत पर द कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला: पक्ष में फैसला देने के लिए सीबीआई जज को मिला था 100 करोड़ का ऑफर

सीबीआई कोर्ट में मामले को सुन रहे जज बृजगोपाल लोया के परिजनों का कहना है कि लोया को जल्दी और मनमुताबिक फैसला देने के एवज में पैसे और ज़मीन की पेशकश की गई थी.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज की मौत पर परिजनों ने उठाए सवाल

2014 में मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मृत्यु के बाद आए जज ने अमित शाह को बिना मुक़दमे के बरी कर​ दिया.

अगर मोदी मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ दिलाना चाहते हैं तो बिलकिस को इंसाफ क्यों नहीं दिलाया?

बिलकिस बानो को इंसाफ मिल पाया क्योंकि शेष भारत और देश की अन्य संस्थाओं में अभी अराजकता की वह स्थिति नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में प्रश्रय दिया था. पर अब धीरे-धीरे यह अराजकता प्रादेशिक सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रीय होती जा रही है.

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