सूरत के हज़ीरा औद्योगिक शहर के समीप मोरा गांव का मामला. गुजरात के सूरत शहर में लॉकडाउन की वजह से फंसे प्रवासी मज़दूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि विडंबना यह है कि गृह मंत्री अमित शाह उन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें उनकी ख़ुद की सरकार ने भगवान भरोसे छोड़ दिया है. वह या तो इन आरोपों को साबित करें या फिर माफ़ी मांगें.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
वीडियो: गुजरात में कोरोना वायरस महामारी की वजह से स्थिति काफी गंभीर है. अहमदाबाद में महामारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रशासन लॉकडाउन को और सख़्त बनाने पर काम कर रहा है.
अहमदाबाद पुलिस के सहायक आयुक्त ने बताया कि उपजिलाधिकारी कार्यालय से भी प्रवासियों के घर भेजे जाने के ऐसे आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं. बृहस्पतिवार को यहां से श्रमिकों की एक बस रवाना हुई थी, इसलिए अफवाह फैल गई कि जो भी घर जाना चाहता है, उन्हें यहां पहुंचना होगा.
महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ जिलों में कोरोना वायरस मरीजों की अधिक मृत्यु दर पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दोनों राज्यों से कहा कि वे प्रारंभिक निगरानी, संपर्कों का तेजी से पता लगाने और शुरू में ही रोग निदान जैसे कदमों पर ध्यान केंद्रित करें ताकि इन क्षेत्रों में मौत के मामलों में कमी आ सके.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले राजू अंकलेश्वर के एक पावर प्लांट में काम करते थे. सोमवार को वे किसी को बिना बताए साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव नेशनल हाईवे पर मिला.
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.
महाराष्ट्र के चंद्रपुर में भी लगभग 1,000 प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए थे. ये मजदूर प्रशासन से उनकी घर वापसी की मांग कर रहे थे.
गोधरा के गुहया मोहल्ले में भीड़ को क़ाबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े. पुलिस ने इस संबंध में आठ लोगों को हिरासत में लिया है, इनमें तीन महिलाएं शामिल हैं.
गुजरात के कुछ इलाकों में प्रवासी मज़दूरों के सड़कों पर उतरने की घटना पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि राज्य में एक-दो छोटी घटनाएं ज़रूर हुई हैं, लेकिन इसका कारण यह नहीं है कि सरकार की मदद उन लोगों तक नहीं पहुंच रही है.
महाराष्ट्र में 13,448 औद्योगिक इकाइयों को अपना कामकाज बहाल करने की अनुमति मिली है, वहीं गुजरात के सांणद में वाहन उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. यहां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम हो रहा है.
गुजरात के सूरत शहर में अप्रैल माह में प्रवासी मज़दूरों द्वारा घर भेजे जाने की मांग को लेकर यह तीसरा प्रदर्शन है. लॉकडाउन में काम कराने को लेकर मज़दूरों ने पथराव भी किया. उधर, सूरत के ही डिंडोली इलाके में लॉकडाउन लागू कराने गए पुलिसकर्मियों पर पथराव करने का मामला सामने आया है.
गुजरात के मेहसाणा ज़िले में कोरोना वायरस के लक्षणों को जांचने गई एक आशा कार्यकर्ता से बदसलूकी की गई, वहीं हरियाणा के फरीदाबाद में एनआरसी के लिए डेटा इकट्ठा करने का आरोप लगाते हुए आशा कार्यकर्ताओं की एक टीम के साथ मारपीट की गई.