गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर गुजरात की मांग क्यों नहीं पूरी की जा रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने से राज्य को प्रतिदिन करीब 16,000 शीशियों की आपूर्ति जारी रखी है, जबकि मांग प्रतिदिन लगभग 25,000 शीशियों की थी.
गुजरात सरकार ने डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन को मृत्यु प्रमाण पत्र और मौत के आंकड़ों में फ़र्क़ की वजह बताया
गुजराती दैनिक दिव्य भास्कर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि राज्य में 1 मार्च से 10 मई के बीच 1.23 लाख मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन इस बीच सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 4,218 कोरोना मौतें दर्ज हैं. इस पर गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा है कि सर्टिफिकेट के आधार पर मौतों की संख्या बताना सही नहीं है.
जहां देश एक ओर 'गुजरात मॉडल' के भेष में पेश किए गए छलावे को लेकर आज सच जान रहा है, वहीं गुजरात के केवड़िया गांव के आदिवासियों ने काफ़ी पहले ही इसके खोखलेपन को समझकर इसके ख़िलाफ़ सफलतापूर्वक एक प्रतिरोध आंदोलन खड़ा किया था.
गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र के शरीर पर लेप के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का मामला. देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच इस महामारी के कारण अपनों को खो देने के बाद उनके सगे-संबंधियों की आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 200 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से आठ की आंख की रोशनी चली गई है, जबकि गुजरात में ऐसे मरीज़ों की संख्या 100 से अधिक है और सात मरीज़ों की आंख की रोशनी जा चुकी है.
गुजरात के द्वारका शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तीनों ने कथित तौर पर कीटनाशक का सेवन किया, क्योंकि वे परिवार के मुखिया की मौत के बाद व्यथित थे. उन्होंने बताया कि मामले की आगे जांच की जा रही है.
बीते चार दिनों में गुजरात के दो गांवों में ‘कोविड-19 ख़त्म करने’ के लिए धार्मिक जुलूस निकालने के आरोप में पुलिस ने 69 लोगों को गिरफ़्तार किया है. पुलिस ने कहा कि गांव के लोगों के एक वर्ग का मानना था कि उनके स्थानीय देवता के मंदिर पर पानी डालने से कोविड-19 का ख़ात्मा हो सकता है.
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि यह सच है कि राज्य सरकार द्वारा क़दम उठाए गए हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह पर्याप्त नहीं है और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आगे भी जनता को महामारी के गंभीर प्रभाव के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है. वर्तमान परिस्थितियों में और अधिक प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचा जा सकता है.
गुजराज के भरूच स्थित वेलफेयर अस्पताल में हुआ हादसा. हादसे के वक़्त अस्पताल में क़रीब 50 अन्य मरीज़ भी थे, जिन्हें स्थानीय लोगों एवं दमकलकर्मियों ने सुरक्षित बाहर निकाला. पिछले साल से इस अस्पताल का इस्तेमाल ज़िले के कोविड-19 मरीज़ों के इलाज के लिए किया जा रहा था.
गुजरात हाईकोर्ट ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के राज्य सरकार के तरीके पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि डॉक्टरों के मरीज़ों को नहीं देखने के कारण अस्पतालों के बाहर संक्रमितों की मौत हो रही है. हाईकोर्ट ने अहमदाबाद में निर्धारित कोविड-19 अस्पतालों पर सवाल उठाया, जो केवल ‘108’ एंबुलेंस में आने वाले मरीज़ों को ही भर्ती कर रहे थे और निजी वाहनों में लाए गए मरीज़ों की अनदेखी कर रहे थे.
तेज़ी से बढ़ रहे कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट ने आगामी चारधाम यात्रा के लिए जल्द मानक परिचालन प्रक्रिया जारी करने का निर्देश दिया है. राज्य में कुंभ मेला भी चल रहा है, जिसे लेकर संक्रमण के मामलों के बढ़ने की बार-बार आशंका जताई गई है.
गुजरात के बनासकांठा ज़िले के डीसा शहर का मामला. ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि उनके पास मंगलवार तक ही स्टॉक था और नए स्टॉक का आदेश दिया गया था जो दिन में पहुंचा. इसी बीच ऑक्सीजन की कमी से दो मरीज़ों ने दम तोड़ दिया.
मामला वडोदरा के खासवाड़ी श्मशान घाट का है, जहां कोरोना वायरस की दूसरी लहर शुरू होने के बाद से ही शवों का अंबार लगा है. यह घटना 16 अप्रैल की है. वडोदरा के मेयर ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में समुदायों को साथ मिलकर काम करना चाहिए.
गुजरात हाईकोर्ट की पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि शिकायतें आ रही हैं कि मरीज़ों को भर्ती नहीं किया जा रहा है, क्योंकि अस्पतालों में जगह नहीं हैं. बेड उपलब्ध नहीं हैं. आपने जो आंकड़ा दिया है, अगर ये सही है तब लोग इधर-उधर क्यों चक्कर काट रहे हैं.