सीबीआई ने बताया कि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर पर गोली चलाने वालों में सचिन प्रकाशराव भी शामिल था. सचिन की संलिप्तता की जानकारी महाराष्ट्र एटीएस ने सीबीआई को दी थी.
अदालत ने कहा कि दाभोलकर और पानसरे के बाद अन्य लोगों को निशाना बनाने के लिए उनके नामों की सूची मीडिया में फैलाई जा रही है. उदारवादियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि अगर वे अपने विचार सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते हैं तो उन्हें निशाना बनाया जा सकता है.
अदालत ने जांच एजेंसियों से पूछा कि क्या अधिकारियों के बीच सामंजस्य की कमी है या फिर अधिकारियों ने अपनी जांच मात्र मोबाइल फोन रिकॉर्ड तक सीमित कर दी है.
पुलिस द्वारा कोर्ट को सौंपी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार गौरी और कलबुर्गी की हत्या में इस्तेमाल हुई गोलियां 7.65 एमएम कैलिबर वाली देसी बंदूक से चलाई गई थीं.
केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया है कि एनआईए इसलिए जांच नहीं कर सकती क्योंकि यह राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय आतंकवाद के मामलों की जांच करने वाली विशेष एजेंसी है.
अदालत ने जांच एजेंसियों से कहा कि उन्हें धन के अभाव के चलते पानसरे हत्याकांड में अपनी जांच में विशेषज्ञों की सहायता लेने और नवीन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने से नहीं बचना चाहिए.
नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या मामले में सुनवाई कर रही अदालत ने कहा, हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. हम रोजाना ऐसी घटनाओं पर गर्व नहीं कर सकते हैं. यह हमारे के लिए शर्मनाक है.
एसआईटी ने किसी संगठन विशेष की संलिप्तता पर कुछ कहने से इनकार करते हुए कहा, हम सबूतों की तरफ देख रहे, व्यक्ति या समूह की तरफ नहीं.
गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच की निगरानी का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की.
अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.
आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान का कहना है, यूपीए सरकार भले ही अयोग्य रही हो, वह इन समूहों की विचारधारा से इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी, लेकिन वर्तमान सत्ता को इन्हीं समूहों से समर्थन मिलता है.
गौरी की हत्या एक चेतावनी है. हत्यारों को पता है कि वे सुरक्षित हैं. वे बेखौफ़ होकर अपना काम करते रहेंगे.
डराने की कोई साज़िश गौरी जैसी निडर आवाज़ों को नहीं दबा सकती.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, दोनों हत्याओं के बीच स्पष्ट गठजोड़ है. कुछ संगठन निश्चित तौर पर अपराधियों का समर्थन कर रहे थे.