राजस्थान: क्यों कोरोना वायरस के कारण घरेलू कामगार महिलाओं की समस्याएं और बढ़ गई हैं

कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के बाद घरेलू कामगार महिलाओं की आर्थिक हालत ख़राब है. काम न होने, मालिकों द्वारा मज़दूरी घटाने, सामाजिक भेदभाव के साथ-साथ ये वर्ग सरकार की उदासीनता से भी प्रताड़ित है.

क्या हैं अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के सही मायने?

वीडियो: अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय महिलाएं बता रहीं हैं कि उनके लिए इस दिन का क्या मतलब है. बीते साल आए विभिन्न कोर्ट के फ़ैसलों को और महिला आंदोलनों को नारीवाद की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है.

महिलाओं के श्रम का सम्मान और उनकी आज़ादी का ख़्वाब कब पूरा होगा?

अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के इतिहास को देखा जाए तो 100 साल पहले मज़दूर महिलाएं काम के घंटे कम करवाने, बराबर वेतन पाने और वोटिंग करने के अधिकार को लेकर लड़ाई लड़ रहीं थी पर आज जिस तरह से महिला दिवस मनाया जा रहा है वो उसके उलट है.

देश में घरेलू कामगारों के साथ हो रहा बर्ताव समाज के वीभत्स चेहरे की गवाही है

ग्राउंड रिपोर्ट: घरों में काम करने वाले घरेलू सहायकों के साथ हो रहे ग़ैर-क़ानूनी और अमानवीय व्यवहार की अनदेखी उनके ज़ख्मों को और गहरा बना रही है.

झारखंड से ग्राउंड रिपोर्ट: रोज़गार-ग़रीबी के दर्द के बीच कब टूटेगा मानव तस्करी का जाल?

वेतन मांगने की वजह से दिल्ली में एक घरेलू कामगार सोनी कुमारी की निर्मम हत्या कर दी गई. झारखंड से लापता हुईं सोनी के परिवारवालों को उनकी हत्या से पहले तक पता ही नहीं था कि वह दिल्ली में हैं.