पुलवामा हमले के बाद हालात ऐसे हैं कि भाजपा इसका राजनीतिक लाभ लेने के लोभ से बच ही नहीं सकती. नरेंद्र मोदी के लिए इससे बेहतर और क्या होगा कि नौकरियों की कमी और कृषि संकट से ध्यान हटाकर चुनावी बहस इस बात पर ले आएं कि देश की रक्षा के लिए सर्वाधिक योग्य कौन है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.
जम्मू कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवान अजय कुमार के अंतिम संस्कार में केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और मेरठ से भाजपा विधायक राजेंद्र अग्रवाल शामिल हुए थे.
पुलवामा के पिंगलान इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने कार्रवाई शुरू की थी. इस मुठभेड़ में एक आम नागरिक की भी मौत हो गई है.
पुलवामा ज़िले के सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के ख़िलाफ़ जम्मू में पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन और हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं थीं, जिसके चलते शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था.
नेशनल बम डेटा सेंटर की नई रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 2014 में 37 बम धमाके, 2015 में 46 बम धमाके, 2016 में 69 बम धमाके, 2017 में 70 बम धमाके और 2018 में 117 ऐसे बम धमाके हुए.
जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में गिरफ़्तारियां हुई हैं.
किसी आतंकी हमले के बाद निंदा और बदले के बजाय इंसाफ़ और समाधान की बात क्यों नहीं की जाती? अभी जिस बदले की हमारे सत्ताधीश बात कर रहे हैं, कभी उन्होंने इस बात पर ग़ौर किया है कि क्या उसका कोई सार्थक परिणाम निकलेगा?
पुलवामा आतंकी हमले के बाद बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने राज्य में कश्मीर के 12 छात्रों की पिटाई कर दी थी. इसके बाद से ही राज्य में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल है. हालांकि पुलिस ऐसी किसी घटना से इनकार कर रही है.
आख़िर क्यों स्थानीय कश्मीरी, जो अपेक्षाकृत रूप से पढ़े-लिखे और संपन्न हैं, इस तरह अपनी जान दांव पर लगाने को तैयार हो जाते हैं?
एहतियात के तौर पर श्रीनगर में डेटा स्पीड को घटाकर 2जी स्तर का कर दिया गया. गुरुवार को पुलवामा ज़िले में हुए फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के तकरीबन 40 जवान शहीद हो गए थे.
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एडवाइज़री जारी करते हुए कहा था है कि आतंकवाद के चलते पाकिस्तान जाने से पहले दोबारा सोचें अमेरिकी नागरिक.
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि टीवी चैनल कोई भी ऐसी सामग्री प्रसारित ना करें जो हिंसा को भड़का सकती है या क़ानून एवं व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हम हाईवे पर घूम रही विस्फोटकों से भरी गाड़ी की पहचान कर पाने में विफल रहे. हमें यह बात स्वीकार करनी होगी कि हमसे भी गलती हुई है.
अधिकारियों का कहना है कि यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है. आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है. इस हमले में लगभग 350 किलो विस्फोटक इस्तेमाल हुआ था.