संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के मुताबिक किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में कुल मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री समेत उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में इसका उल्लंघन हुआ है.
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार बनने के तीन महीने बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के कई नेता अपनी नाराज़गी जता चुके हैं. जानकारों का कहना है कि यह फ़ैसला उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. नतीजों के बाद की परिस्थितियों में मंत्रिमंडल में फिर से फेरबदल होगा.
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बनने वाले शिवराज सिंह चौहान ने करीब तीन महीने बाद पूर्ण कैबिनेट का गठन किया है. इसमें 16 भाजपा विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 12 विधायकों को शामिल किया गया है.
संविधान का अनुच्छेद 164 (1 ए) मुख्यमंत्री समेत कम से कम 12 मंत्रियों के मंत्रिमंडल की बात करता है, लेकिन बीते दो महीनों से शिवराज सिंह चौहान केवल पांच मंत्रियों के साथ सरकार चला रहे हैं. कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि मंत्रिमंडल विस्तार करने पर मंत्री न बन सकने से असंतुष्ट विधायक आगामी राज्यसभा चुनाव में कहीं क्रॉस-वोटिंग न कर दें.
बुधवार को सामने आए एक ऑडियो के आधार पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर कमलनाथ सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने का इल्ज़ाम लगाया है. इस ऑडियो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कथित तौर पर कह रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया था कि सरकार गिरनी चाहिए.
मामला मध्य प्रदेश के गुना जिले का है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि मजदूर ने शराब पी रखी थी, वह नशे में शौचालय में पहुंच गया. पत्नी ने भोजन भी नशे में शौचालय में करा दिया.
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में एक समारोह में पांच सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के मंत्रिपरिषद में दो बागी कांग्रेस विधायकों को भी जगह मिली है.
मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता वापसी तो हो गई है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान के लिए यह कार्यकाल उनके पिछले कार्यकालों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण रहेगा. विश्लेषकों के अनुसार, उन्हें पार्टी में आए बाग़ी विधायकों को साधने से लेकर उन मुद्दों से भी निपटना है, जिन पर वे कांग्रेस को घेरते आए हैं.
आगर-मालवा और जौरा के विधायकों के निधन के कारण विधानसभा की दो सीटें पहले से ही खाली थीं. अब कांग्रेस के बागी 22 विधायकों के इस्तीफ़े के बाद राज्य में 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं.
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी विधायकों द्वारा बगावत करने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कुछ नई नियुक्तियां की थीं, जिस पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया था.
बीते 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के बाद मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार संकट में आ गई थी. कई दिनों के सियासी घमासान के बाद कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने बहुमत साबित करने से पहले ही पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश के विकास, प्रगति और उन्नति के अपने संकल्प के साथ कांग्रेस के सभी 22 पूर्व विधायकों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी के निवास पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.
उच्चतम न्यायालय 20 मार्च को मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. बीते 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई थी.
भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 12 घंटों के भीतर विश्वास मत कराने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर, मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.
राज्यपाल ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे गए पत्र में कहा है कि अगर आप 17 मार्च को शक्ति परीक्षण नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है. मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्यपाल दबाव में हैं.