एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि ‘बेलगाम' सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के नाम पर सरकार मीडिया को मिली संवैधानिक सुरक्षा को छीन नहीं सकती है. गिल्ड ने इस बात को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की है कि इन नियमों के तहत सरकार को असीमित शक्तियां दे दी गई हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आए नौ मंत्रियों के समूह द्वारा तैयार 97 पन्नों के दस्तावेज़ का मक़सद मीडिया में मोदी सरकार की छवि को चमकाना और स्वतंत्र मीडिया को चुप कराना है. बताया गया है कि यह रिपोर्ट सरकार समर्थक कई संपादकों और मीडियाकर्मियों के सुझावों पर आधारित है.
अनुचित तरीके से बनाए गए नए सोशल मीडिया नियम समाचार वेबसाइट्स को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ खड़ा करते हैं. इन्हें वापस लिया ही जाना चाहिए.
कारवां पत्रिका ने नौ मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2020 के मध्य में इन सभी ने स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को प्रभावहीन बनाने के लिए ख़ाका तैयार किया था. इसमें ऐसे लोगों को ख़ामोश करने की योजना बनाई गई थी, जो सरकार के ख़िलाफ़ ख़बरें लिख रहे हैं या उसका एजेंडा नहीं मान रहे हैं.
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए नियमों के तहत सबसे पहली नोटिस मणिपुर के न्यूज पोर्टल द फ्रंटियर मणिपुर को उसके एक कार्यक्रम को लेकर जारी किया गया है. पोर्टल को सभी संबंधित दस्तावेज़ों की प्रति मुहैया कराने को कहा गया था, जो इन नियमों के पालन को सुनिश्चित करते हों.
केरल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर दृष्टिपत्र पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि संघवाद और राज्यों के साथ नियमित परामर्श भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति का आधार स्तंभ है, जो संविधान में निहित है, पर मौजूदा केंद्र सरकार ने इससे मुंह मोड़ लिया है.
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही ख़बर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मध्यस्थों और नेटफ्लिक्स व अमेज़न के प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को उनके माध्यम से साझा की जाने वाली सामग्री के लिए अधिक जवाबदेह बनाने के लिए आईटी अधिनियम में कुछ हिस्सों में बदलाव करना चाहता है.
वीडियो: बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कू नाम के एक एप्लीकेशन को लेकर लगातार बात हो रही है. इसे ट्विटर का देसी वर्ज़न कहा जा रहा है और इस पर एकाउंट बनाकर कई मंत्रियों को इसका प्रचार करते हुए देखा गया. इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.
वीडियो: बीते दिनों कई संपादकों-पत्रकारों पर आपराधिक मामले ठोंके गए, गिरफ़्तारी बचने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी. इस बीच स्वतंत्र न्यूज़ पोर्टल न्यूज़क्लिक पर ईडी अभूतपूर्व छापेमारी की ख़बर आई. इसी विषय पर दो वरिष्ठ पत्रकारों डॉ. मुकेश कुमार और टीके राजलक्ष्मी से उर्मिलेश की बातचीत.
डिजिटल अधिकार समूहों का कहना है कि दुनिया भर में इंटरनेट को बंद करना दमनकारी और निरंकुश शासनों और कुछ अनुदार लोकतंत्रों की एक लोकप्रिय रणनीति बन गई है. सरकारें इसका उपयोग असहमति की आवाज़, विरोधियों की आवाज़ दबाने या मानवाधिकारों के हनन को छुपाने के लिए करती हैं.
ट्विटर ने 500 से अधिक एकाउंट निलंबित किए हैं. हालांकि उसने अभिव्यक्ति की आज़ादी को अक्षुण्ण रखने की ज़रूरत का हवाला देते हुए मीडिया संस्थानों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के एकाउंट पर रोक लगाने से इनकार किया है.
ट्विटर इंडिया ने कहा कि भारत सरकार के आदेश अनुसार कुछ कार्रवाई की है लेकिन वह मीडिया संस्थाओं, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नेताओं से जुड़े एकाउंट को ब्लॉक नहीं करेगा. माइक्रोब्लॉगिंग मंच ने यह भी कहा कि वह अपने और प्रभावित हुए एकाउंट दोनों के लिए भारतीय क़ानून के तहत विकल्प तलाश कर रहा है.
केंद्र सरकार का कहना है कि जिन एकाउंट्स को हटाने को कहा गया है,वे खालिस्तान समर्थकों या पाकिस्तान द्वारा समर्थित हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार को लगता है कि ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी किसान आंदोलनों के समर्थन में कुछ ट्वीट को लाइक कर रहे हैं, जो प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.
बीते सोमवार केंद्र सरकार के अनुरोध पर ट्विटर ने कई एकाउंट्स पर रोक लगा दी थी. हालांकि उसी दिन देर रात तक यह रोक हटा दी गई. अब सरकार का कहना है कि ट्विटर हैशटैग मोदी प्लानिंग फार्मर जिनोसाइड लिखने वाले एकाउंट हटाने संबंधी उसके निर्देश माने या फिर इसका नतीजा भुगतने को तैयार रहे.