क्या ‘ग्रीन’ शब्द जुड़ जाने मात्र से कोई परियोजना प्रकृति अनुकूल हो जाती है

नदी, पहाड़, जैव-विविधता की अनदेखी कर बनी बड़ी हाइड्रो पावर परियोजनाओं से पैदा ऊर्जा को 'ग्रीन एनर्जी' कैसे कह सकते हैं? एक आकलन के अनुसार कई परियोजनाएं तो उनकी क्षमता की 25 प्रतिशत बिजली भी पैदा नहीं कर पा रही हैं. तो अगर ये परियोजनाएं व्यावहारिक नहीं हैं, तो सरकार ज़िद पर क्यों अड़ी है?

उत्तराखंड आपदा: हादसों के ढेर पर बैठे हैं लेकिन सबक कुछ नहीं

भूगर्भ वैज्ञानिक निरंतर चेतावनी दे रहे हैं कि सभी ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न मौसमी बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में तरह-तरह के हाइड्रोप्रोजेक्ट बनाने की ज़िद प्राकृतिक हादसों को आमंत्रण दे रही है. सबसे चिंताजनक यह है कि केंद्र या उत्तराखंड सरकार इन क्षेत्रों में लगातार हो रहे हादसों से कुछ नहीं सीख रही है.

उत्तराखंड: ग्लेशियर टूटने से गढ़वाल क्षेत्र में आई विकराल बाढ़, 150 श्रमिक लापता

चमोली ज़िले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरीक्षेत्र में टूटे हिमखंड से धौलगंगा और अलकनंदा घाटी में आई बाढ़ ने रैणी गांव के पास बने ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. परियोजना स्थल से डेढ़ सौ के क़रीब लोग लापता हैं और अब तक कुछ शव बरामद किए गए हैं.